New Delhi news : सड़क हादसे के पीड़ितों को सरकार बड़ी राहत देने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि दुर्घटना के पीड़ितों के इलाज के लिए कैशलेस योजना सरकार लाने वाली है। इसके तहत एक लाख रुपये से ज्यादा का इलाज मिल सकेगा। उन्होंने बताया है कि मार्च तक एक संशोधित योजना लाए जाने की तैयारी है। गडकरी ने कहा कि यह योजना किसी भी श्रेणी की सड़क पर मोटर वाहनों के कारण होने वाली सभी सड़क दुर्घटनाओं पर लागू होगी। उन्होंने कहा, ‘पायलट कार्यक्रम की व्यापक रूपरेखा के अनुसार पीड़ित दुर्घटना की तारीख से अधिकतम सात दिन की अवधि के लिए प्रति व्यक्ति अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक ‘कैशलेस’ उपचार के हकदार हैं।’
…तो सरकार इलाज का खर्च उठाएगी
सरकार ने अगस्त 2024 में जानकारी दी थी कि योजना के अंतर्गत आने वाले पीड़ितों को आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री- जन आरोग्य योजना (एबी पीएम- जेएवाई) के तहत सूचीबद्ध अस्पतालों में दुर्घटना की तिथि से अधिकतम 7 दिनों की अवधि के लिए ट्रॉमा और पॉलीट्रॉमा देख-भाल से संबंधित अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक के स्वास्थ्य लाभ पैकेज दिए जाते हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत एनएचए, स्थानीय पुलिस, सूचीबद्ध अस्पतालों, राज्य स्वास्थ्य एजेंसी, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र और सामान्य बीमा परिषद के साथ समन्वय कर कार्यक्रम को लागू करने के लिए जिम्मेदार हैं।
30 हजार मौतें हेलमेट नहीं पहनने से हुई
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गडकरी ने कहा है कि अगर पुलिस को हादसे के 24 घंटे के अंदर सूचित कर दिया जाता है, तो सरकार इलाज का खर्च उठाएगी। उन्होंने कहा है कि सड़क सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है। केंद्रीय मंत्री ने जानकारी दी है कि 2024 में करीब 1.80 लाख लोगों ने सड़क हादसे में जान गंवा दी है। इनमें से 30 हजार मौतें हेलमेट नहीं पहनने से हुई हैं।अगर हिट एंड रन की स्थिति में मौत हो जाती है, तो पीड़ित के परिवार को 2 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। कार्यक्रम को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के ई-विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट (ईडीएआर) एप्लिकेशन और एनएचए की लेनदेन प्रबंधन प्रणाली की
कार्यक्षमता को मिलाकर एक आईटी मंच के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा।
मरीजों का हो कैशलेस इलाज : सुप्रीम कोर्ट
इधर, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह मोटर दुर्घटना के पीड़ितों के लिए “गोल्डन आवर” (पहले 60 मिनट) के दौरान कैशलेस चिकित्सा की व्यवस्था पूरे देश में सुनिश्चित करने के लिए तैयारी करे। आपको बता दें कि गोल्डन आवर वह समय होता है जब एक गंभीर चोट के बाद पहले 60 मिनट में चिकित्सा उपचार सबसे प्रभावी होता है। कोर्ट में ऐसे कई मामलों का उल्लेख किया गया जिनमें गोल्डन आवर के दौरान आवश्यक उपचार नहीं मिलने के कारण मरीज की मौत होगी।