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यूपी सरकार ने अखिलेश को जेपी कन्वेशन सेंटर जाने से रोका, आवास के बाहर भारी फोर्स तैनात किया

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बोले अखिलेश- त्योहार है, नहीं तो बैरिकेडिंग तोड़ देते 

Lucknow news :  राज्य सरकार ने शुक्रवार को समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को जेपी कन्वेशन सेंटर जाने से रोका, तो उन्होंने घर में लगी लोकनायक जय प्रकाश नारायण की मूर्ति पर माला चढ़ा दी। इससे पहले वह जय प्रकाश नारायण नेशनल कन्वेशन सेंटर (जेपीएनआईसी) में माल्यार्पण करने पर अड़े हुए थे। उन्होंने कहा कि आज त्योहार है, नहीं तो बैरिकेडिंग रोक नहीं पाती, इसे तोड़ देते।

अखिलेश को रोकने के पीछे राज्य सरकार ने तर्क दिया है कि बारिश के चलते जेपीएनआईसी में जीव-जंतु हो सकते हैं, इसलिए माल्यार्पण करना सुरक्षित नहीं है। प्रशासन ने शुक्रवार को अखिलेश के घर के बाहर बैरिकेडिंग की, तार बिछाए और बड़ी संख्या में फोर्स तैनात कर दी।

सरकारी अफसर बिच्छू हैं

जेपीएनआईसी के बाहर भी टीन की ऊंची दीवार खड़ी कर दी गई। अखिलेश ने जेपीएनआईसी जाने से रोकने पर कहा कि सरकारी अफसर खुद बिच्छू हैं। अखिलेश ने कहा कि यूपी सरकार जेपीएनआईसी को बेचना चाहती है। पहले भी हमें माल्यार्पण करने से रोका गया। योगी लोकनायक का इतिहास नहीं जानते। राज्य सरकार गूंगी और बहरी सरकार है। ये विकास नहीं विनाश करने में माहिर है।

क्या अखिलेश को हाउस अरेस्ट किया गया है?

अखिलेश के आवास के बाहर भारी सुरक्षा इंतजाम पर सपा ने पूछा था कि क्या अखिलेश को हाउस अरेस्ट किया गया है? उनके आवास के बाहर सैकड़ों की संख्या में पार्टी कार्यकर्ता मौजूद थे। पार्टी अध्यक्ष को माल्यार्पण करने से रोकने पर नाराज दिख रहे थे। सरकार के खिलाफ लगातार नारेबाजी कर रहे थे। राज्य सरकार और सपा के बीच टकराव गुरुवार रात से ही शुरू हो गया, जब अखिलेश ने वीडियो पोस्ट किया, जिसमें जेपीएनआईसी गेट पर टिन शेड की दीवार खड़ी करते हुए मजदूर दिखाई पड़े। अखिलेश ने पोस्ट में लिखा था- श्रद्धांजलि देने से रोकना सुसभ्य लोगों की निशानी नहीं है। शुक्रवार सुबह बैरिकेडिंग और फोर्स तैनात करने पर सपा ने सरकार से सवाल किया था- क्या ये हाउस अरेस्ट है।

दूसरी बार आमने-सामने सपा और राज्य सरकार

जय प्रकाश नारायण की जयंती पर अखिलेश और यूपी सरकार दूसरी बार आमने-सामने हैं। पिछले साल अखिलेश माल्यार्पण के लिए जेपीएनआईसी का गेट कूदकर अंदर गए थे। जेपीएनआईसी का निर्माण सपा सरकार ने 2013 में शुरू कराया था। 2017 में योगी सरकार आई, तो निर्माण को लेकर जांच शुरू हो गई। इसके बाद से निर्माण अधूरा है। पब्लिक की एंट्री भी बंद है।

भाजपा तानाशाही के रास्ते पर : शिवपाल

शिवपाल यादव ने कहा- आज जय प्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर समाजवादी पार्टी के लोग उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करना चाहते हैं। भाजपा की सरकार और उनके सारे अधिकारी उस पर दमन चक्र चला रहे हैं। हम इसकी निंदा करते हैं। भाजपा के लोग पूर्वजों का सम्मान नहीं होने दे रहे हैं। भाजपा तानाशाही के रास्ते पर जा रही है। जय प्रकाश नारायण ने जिस तरह से संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था, उसी तरह से समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को भाजपा को हटाने की एक नई क्रांति पैदा करनी पड़ेगी।

जेपीएनआईसी सपा सरकार का काला कारनामा : भाजपा

इस बीच भाजपा प्रवक्ता आलोक अवस्थी ने कहा कि अखिलेश यादव सरकार के पांच साल काम नहीं कारनामों के लिए जाने जाते हैं। जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (जेपीएनआईसी) घोटाला इन्हीं काले कारनामों में से एक है। उन्होंने कहा कि जेपीएनआईसी परियोजना भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण है, जहां तीन बार बजट रिवाइज कर घोटाले को अंजाम दिया गया, लेकिन फिर भी निर्माण कार्य पूरा नहीं किया जा सका। एलडीए द्वारा परियोजना की प्रस्तावित लागत 421.93 करोड़ रुपए थी, जिसे व्यय वित्त समिति द्वारा 265.58 करोड़ रुपए आंकलित किया गया। इसके बाद इसमें बजट रिवीजन का खेल शुरू हुआ। 2015 में इसे बढ़ाकर 615.44 करोड़ किया गया, तो 2015 में यह फिर रिवाइज होकर 757.68 करोड़ पहुंचा गया। तीसरी बार यानी नवंबर 2016 में इसकी रिवाइज लागत को 864.99 करोड़ कर दिया गया। यानी कुल प्रस्तावित लागत का दोगुना से भी ज्यादा है।शासन द्वारा स्वीकृत 864.99 करोड़ के सापेक्ष 821.74 करोड़ रुपए की धनराशि अवमुक्त भी कर दी गई, जिसे परियोजना पर व्यय किया जा चुका है। इसके बावजूद निर्माण कार्य पूरा नहीं किया जा सका। योजना शुरू होने से लेकर सरकार की विदाई तक परियोजना की लागत दोगुनी से ज्यादा पहुंच गई (421.93 करोड़ से 864.99 करोड़ रुपए)। यह भ्रष्टाचार की ओर स्पष्ट इशारा करता है।

अखिलेश को सब्र नहीं : जेडीयू

माल्यार्पण करने से रोके जाने पर अखिलेश ने जदयू चीफ नीतीश कुमार से अपील की कि वे केंद्र की भाजपा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लें। इस मामले में जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि अखिलेश यादव मध्य रात्रि में श्रद्धांजली देने पहुंचे गए। उन्हें सब्र रखना चाहिए था। अखिलेश यादव उनके मूल्यों की परवाह तो करते नहीं हैं, फिर श्रद्धांजलि देने का क्या मतलब।

अपने गांव सिताबदियारा में उपेक्षित दिखे जेपी

संपूर्ण क्रांति आंदोलन के सूत्रधार और समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की जयंती पर लखनऊ में लगातार दूसरे साल बवाल चला, लेकिन उनके गांव सिताबदियारा में उनको श्रद्धांजलि देने कोई बड़ा नाम नहीं पहुंचा। बलिया से जेपी के अनुयायी अखिलेश सिन्हा, डा. हरिमोहन, अभिषेक सिंह मंटू और मोहन सिंह ने उनके गांव से यह फोटो भेजी है।

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