New Delhi news : भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने गुरुवार सुबह जस्टिस के विनोद चंद्रन को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ दिलाई है। जस्टिस चंद्रन इससे पहले पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे। सुप्रीम कोर्ट में दो पद खाली थे। वरिष्ठता वाली सूची में जस्टिस चंद्रन का नाम 13वें स्थान पर था। इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजिम ने उनके नाम की मंजूरी दी है। कॉलेजियम के द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, फिलहाल केरल का सुप्रीम कोर्ट में प्रतिनिधित्व नहीं था। इसे ध्यान में रखते हुए जस्टिस चंद्रन को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया है। आपको बता दें कि जस्टिस सीटी रविकुमार के इस महीने की शुरुआत में रिटायर हुए थे।
केंद्र सरकार ने 13 जनवरी को जस्टिस चंद्रन की नियुक्ति की अधिसूचना जारी की थी। 7 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सिफारिश के आधार पर यह घोषणा की गई थी। कॉलेजियम में मुख्य न्यायाधीश खन्ना के साथ न्यायमूर्ति भूषण आर गवई, सूर्यकांत, हृषिकेश रॉय और अभय एस ओका भी शामिल थे। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोशल मीडिया पर केंद्र की मंजूरी की घोषणा करते हुए लिखा: “भारत के संविधान द्वारा प्रदान किए गए अधिकारों के अंतर्गत भारत के राष्ट्रपति ने भारत के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करने के बाद पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति कृष्णन विनोद चंद्रन को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की घोषणा करते हैं।”
जस्टिस चंद्रन ने केरल से अपनी कानूनी यात्रा शुरू की थी। उन्होंने 1991 में कानून की डिग्री प्राप्त करने के बाद वकालत शुरू की। उन्होंने समय के साथ टैक्स और सार्वजनिक कानून में विशेषज्ञता हासिल की। 2007 से 2011 तक केरल सरकार के विशेष सरकारी वकील (टैक्स) के रूप में कार्य किया।
उन्हें नवंबर 2011 में केरल हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और जून 2013 में उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। मार्च 2023 में उन्हें पटना उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस चंद्रन की नियुक्ति के बाद 34 स्वीकृत पदों में से 33 न्यायाधीश कार्यरत हैं।