तमिलनाडु और कर्नाटक में ये हैं मान्यताएं
Dharm adhyatma, Diwali, Hindu festival : दिवाली नजदीक है और भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में रहनेवाले भारतीयों में इसको लेकर उत्सुकता चरम पर है। इन सबसे बीच भारत के ही एक राज्य केरल में दीपावली पर वैसा उत्साह नहीं नजर आ रहा।
यहां हल्के-फुल्के अंदाज में दीवाली मनायी जाती है। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर ऐसा क्यों है?
एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि केरल में दीवाली इसलिए नहीं मनायी जाती है, क्योंकि यहां हिन्दुओं की संख्या दूसरे धर्मों के लोगों के मुकाबले कम है। हालांकि, सोशल मीडिया पर इसको लेकर बवाल मचा, तो मीडिया हाउस ने अपना वीडियो वापस ले लिया था। असल में केरल एक बहुसंस्कृतियों वाला राज्य है और 2011 की जनगणना के अनुसार केरल की कुल जनसंख्या में 54.73 फीसद हिन्दू हैं। 26.56 प्रतिशत मुस्लिम और 18.38 फीसद ईसाई हैं। ऐसे में यह कहना गलत है कि हिन्दुओं की संख्या कम होने के कारण केरल में दीवाली मनायी जाती है।
ओणम धूमधाम से मनाया जाता
वास्तव में उत्तर भारत की तरह केरल में धूमधाम से दीवाली नहीं मनायी जाती, बल्कि हिन्दुओं के दूसरे त्योहार ओणम और विष्णु वहां अधिक उत्साह के साथ मनते हैं। इसी तरह से क्रिसमस और ईद भी उत्साहपूर्वक मनायी जाती है। इन सभी त्योहारों में पूरी आबादी हिस्सा लेती है। फिर भी केरल ने अबकी उत्तर भारतीय त्योहारों को अपना लिया है। हालांकि, इनमें कुछ न कुछ बदलाव दिखाई देता है। राज्य में उत्तर भारतीयों की मौजूदगी और हिन्दी फिल्मों के प्रभाव के कारण अब कॉलेजों में होली खूब मनायी जाती है।
नरकासुर वध का प्रतीक
ऐसे में दीवाली धूमधाम से नहीं मनाने के कई कारण हैं। उत्तर भारत में दीपावली राम के रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटने के प्रतीक के रूप में मनायी जाती है। वहीं, केरल में भगवान श्रीकृष्ण लोगों के प्रिय हैं। केरल में मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण के नरकासुर वध का प्रतीक है दीपावली।
पौधों की रोपाई का समय
केरल में दीवाली त्योहार के कम उत्साह से मनाने का एक और कारण है कृषि का पैटर्न। उत्तर भारत में दीवाली फसलों की कटाई के बाद मनायी जाती है। वहीं, ट्रॉपिकल क्लाइमेट और माॅनसून की वापसी का केरल के कृषि सीजन पर असर पड़ता है। केरल की नगदी फसलों नारियल और मसालों आदि का सीजन उत्तर भारत में गेहूं की फसल के सीजन से अलग होता है। उत्तर भारत में जहां दीवाली माॅनसून के खात्मे और सर्दी की शुरुआत में मनायी जाती है, वहीं केरल में यह समय नॉर्थ-ईस्ट माॅनसून की शुरुआत का होता है। ओणम मनाने के बाद यहां अगस्त-सितम्बर में किसान नयी फसलों के पौधे रोपते हैं। ऐसे में वे दीवाली धूमधाम से नहीं मना पाते।
तमिलनाडु और कर्नाटक में ये हैं मान्यताएं
दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में दीवाली की बात करें, तो वहां भी इसे थोड़ा अलग तरीके से मनाया जाता है। तमिलनाडु में दीपावली को नरक चतुर्दशी पर्व के रूप में मनाया जाता है। यहां केरल जैसी ही मान्यता है कि यह भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर राक्षस के वध करने का प्रतीक है। वहीं, कर्नाटक में दीवाली को बाली चतुर्दशी के रूप में मनाने की मान्यता है। यह भगवान विष्णु द्वारा राक्षस बाली के वध का प्रतीक है।