Dharm adhyapan, Yamuna nadi aur Yamraj ka sambandh : जन्म हुआ है तो जन्म के साथ किसी भी जीव की मृत्यु भी सुनिश्चित है। हमारी परंपरा में यमराज को यमलोक का देवता माना जाता है और यमलोक को मृत्यु लोक भी कहा जाता है। जन्म के बाद मृत्यु होने पर हर जीव के मृत्यु लोक में जाने की बात कही जाती। हमारे शास्त्रों में यमलोक की विस्तृत चर्चा के साथ नदियों का भी आख्यान तरह-तरह से मिलता है। यमुना नदी के बारे में भी एक ऐसा ही आख्यान है कि इस नदी में स्नान करने के बाद यमलोक से छुटकारा मिल जाता है। मगर, इसकी सच्चाई क्या है, यह भी जान लेना चाहिए।
यमुना और यमराज में संबंध
यमुना नदी को कालिंदी भी कहा जाता है क्योंकि इसका उद्धव कालीन पर्वत से हुआ है। तो क्या यमुना नदी और यमराज में कोई संबंध है। यमुना नदी के काले रंग का रहस्य क्या है और ब्रज में यमुना नदी को यमुना मैया क्यों कहा जाता है। हमें बताया गया है कि यमुना नदी का उद्गम यमुनोत्री से हुआ है। यह नदी प्रयाग में आकर गंगा नदी के साथ मिल जाती है। हमारे शास्त्रों में यमराज को यमुना नदी का बहन माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, यमुना भगवान श्रीकृष्ण की परम भक्त थी, श्रीकृष्ण की भक्ति में रंगने की वजह से ही इनका भी रंग काला हो गया।
यमुना और यमराज दोनों सूर्य की संतान
यमराज और यमुना दोनों को सूर्य की संतान कहा जाता है। कथाओं के अनुसार, सूर्य की पत्नी छाया का रंग काला था, यही वजह है कि उनकी दोनों संतानें यमराज और यमुना का रंग भी काला है। कथाओं के अनुसार यमुना ने अपने भाई यानी यमराज से यह वरदान लिया था कि जो भी यमुना में स्नान करेगा उसे यमलोक नहीं जाना होगा। दिवाली के दूसरे दिन यम द्वितीया के दिन यमराज और यमुना भाई-बहन की तरह मिलते हैं। इसी वजह से इस दिन भाई दूज का भी पर्व मनाया जाता है। कोसी घाट के पास यमुना नदी को सबसे पवित्र माना जाता है। शास्त्रों में जो कुछ भी लिखा गया हो, लेकिन यमुना में स्नान करने से यमलोक में जाना रुक जाएगा, आज तक ऐसा नहीं हुआ है।