घरेलू विवाद के बाद मामला तलाक तक पहुंचा तो पत्नी भरण-पोषण के लिए कोर्ट में हर्जाने का दावा ठोंक बैठी। कोर्ट ने इसपर मुहर लगाते हुए पति को प्रति माह पांच हजार रुपये की दर से 11 महीने का बकाया कुल 55 हजार रुपये तत्काल जमा करने का निर्देश दिया। इस आदेश के अनुपालन में पति सात बोरों में एक और दो रुपये का सिक्का लेकर कोर्ट पहुंच गया। यह देख कोर्ट रूम में मौजूद हर एक लोग दंग रह गए।
अधिवक्ता ने कहा- प्रताड़ना, पति बोला – वैध हैं सिक्के
वाकया राजस्थान के जयपुर का है। पति जब सिक्के से भरे बोरे लेकर कोर्ट पहुंचा तो पत्नी के अधिवक्ता रामप्रकाश कुमावत ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसे ‘मानसिक प्रताड़ना’ बताया। इधर, पति की ओर से दलील दी गई कि ये सिक्के वैध मुद्रा हैं और इन्हें लेने से कोई मना नहीं कर सकता। बहरहाल कोर्ट ने 26 जून को अगली सुनवाई के मौके पर गिनती के बाद सिक्के देने की अनुमति दे डाली।
क्या है मामला
दरअसल, जयपुर के हरमाड़ा इलाके में रहने वाले दशरथ कुमावत को पुलिस ने 17 जून को परिवार अदालत संख्या-1 द्वारा जारी वारंट के बाद गिरफ्तार किया था। वह पिछले 11 माह से पत्नी को मासिक भरण-पोषण की राशि नहीं दे रहा था। पति के अधिवक्ता ने बताया कि परिवार अदालत अवकाश के कारण बंद थी, इसलिए उसे अतिरिक्त जिला जज की अदालत संख्या- 8 के लिंक अदालत में पेश किया गया। अदालत ने पति को सिक्के के एक-एक हजार रुपये के पैकेट तैयार कर पत्नी को सौंपने को कहा है।