Blood Sucking Animal In Sea, Paleontology Study Reveals, Know About It : जीव विज्ञान के क्षेत्र में होने वाले रिसर्च से लगातार नई-नई जानकारियां सामने आती रहती हैं। बाद में उन्हें पढ़ने के लिए सिलेबस में शामिल किया जाता है। हाल में जीवाश्मों (Fossils) पर शोध (Research) करने वाले वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाली बात का खुलासा किया है। जीवाश्म पर हुई एक नई स्टडी कहती है कि करोड़ों साल पहले समुद्र में वैम्पायर जैसा खूंखार जीव घूमता था। जीव के बारे में बताते हुए कहा गया है कि इसकी बॉडी बुलेट के आकार की रही होगी, इसके शरीर के अंधेरे में चमक सकने वाली क्षमता से लैस रहे होंगे। इसकी बॉडी पर 8 हाथ रहे होंगे और खून चूसने के लिए खास स्ट्रक्चर मुंह की ओर रहा होगा।
फॉसिल केस स्टडी से मिली जानकारी
Papers In Paleontology में एक नई स्टडी को प्रकाशित किया गया है जिसमें कहा गया है जीवाश्मों के अध्य्यन में एक खून चूसने वाले जीव का पता लगा है। यह 16.5 करोड़ साल पहले समुद्र में घूमता रहा होगा। यह खोज फ्रांस के वैज्ञानिकों ने की है। वैज्ञानिकों ने प्राचीन समय में खोजे गए जीवाश्मों को मॉडर्न तकनीक से जांचा और परखा है। इसमें इस स्क्विड के बारे में पता चला है जो 8 बांहों वाला खून चूसने वाला जीव रहा होगा। इसका नाम Vampyrofugiens atramentum बताया गया है जिसका अंग्रेजी में मतलब होता है fleeing vampire यानि कि हिंदी में कहें तो ‘भागता हुआ पिशाच’!
रात में चमकने लगते होंगे अंग
शोधकर्ताओं कहना है कि इस तरह के फीचर किसी जीव में अब तक नहीं पाए गए हैं। स्टडी में कहा गया है कि यह जीव अपने जिंदा शिकार को अपनी बांहों से पकड़ता होगा। इसके अलावा खुद की रक्षा के लिए इसमें ऐसा गुण मौजूद बताया गया है कि रात में इसके अंग चमकने लगते थे। जिससे दूसरे हमलावर जीव इससे डरकर भाग जाते थे। इसके साथ ही एक और प्रतिरक्षा तकनीक यह इस्तेमाल करता रहा होगा। इसमें स्याही की थैली का इस्तेमाल बताया गया है। इस तरह से ये दोनों ही फीचर, अंधेरे में चमकना, और स्याही की थैली, सबसे पहले विलुप्त हो चुके कोलॉइड्स में पाए गए थे।
अन्य फॉसिल में नहीं मिले यह दो फीचर
रिपोर्ट के मुताबिक, स्टडी की ऑथर Alison Rowe ने बताया कि यह शिकार भी था और शिकारी भी। उन्होंने कहा कि इसके अंदर जो ये दो फीचर पाए गए हैं, ये उन्होंने इससे पहले किसी फॉसिल रिकॉर्ड में नहीं देखे थे। स्टडी में कहा गया है कि अपने अंगों को रोशन करने की तकनीक का इस्तेमाल यह कम्युनिकेट करने के लिए भी करता रहा होगा। साथ ही शिकारियों से बचने के लिए भी यह नैचुरल लाइट की तरह इस तकनीक का इस्तेमाल करता होगा।