National News Update, New Delhi, Expenditure To Make Indian Currency Notes : सबसे पहले यह जान लेना चाहिए कि भारत में नए नोटों की छपाई की जिम्मेदारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) पर होती है। आरबीआई एक रुपए के नोट को छोड़कर सभी मूल्य के नोटों को छापता है। सभी एक रुपये के नोट वित्त मंत्रालय की देखरेख में छापे जाते हैं। वित्त सचिव द्वारा हस्ताक्षर किए जाते हैं। इस पर आरबीआई के गवर्नर के साइन नहीं होते। अन्य नोटों पर आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं। वित्त मंत्रालय एक रुपए के नोटों को छापने और बाकी सभी मूल्य के सिक्कों को मुद्रित करने के लिए जिम्मेदार है। क्या आप जानते हैं कि ₹500 के 1 नोट की छपाई पर कितना खर्च आता है इसी तरह अन्य नोटों पर भी छपाई का अलग-अलग खर्च आता है आज हम बात करते हैं नोटों की छपाई पर खर्च की।
आरबीआई को नोट और सिक्कों को प्रसारित करने का अधिकार
भारतीय रिज़र्व बैंक को ही नोटों और सिक्कों को प्रसारित करने का अधिकार है। इसका मतलब यह है कि वित्त मंत्रालय एक रुपये के नोट छापता है और बाकी सभी सिक्कों को मुद्रित करके उन्हें अर्थव्यवस्था में प्रसारित करने के लिए रिज़र्व बैंक को भेज देता है।
200 रु और 500 रु के नोट की छपाई का खर्च
2016 में नोटबंदी में 200 रु के नोट भी पेश किए गए। 200 रु का एक छापने में 2.93 रु की लागत आती है। वहीं 500 रु का एक नोट छापने में सरकार को 2.65 रु खर्च करने होते हैं।
2000 रु के नोट की छपाई का खर्च
अब ₹2000 के नोट को चलन से धीरे-धीरे बाहर किया जा रहा है लेकिन इसके एक नोट की छपाई पर खर्च को समझ लें। 2000 रु का नोट छापने में ज्यादा खर्च आता है। 2000 रु का एक नोट छापने में 3.54 रु लगते हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि नोटों की छपाई का मुख्य खर्च नोटों की छपाई में इस्तेमाल होने वाले कागज, स्याही, सुरक्षा धागे और मशीनों की खरीद पर होता है। आरबीआई को इन नोटों को बनाने के लिए नोट बनाने के कागज और स्याही का आयात करना पड़ता है।
₹50 के नोट की छपाई का खर्च
50 रु का एक नोट छापने पर 2019-20 में 1.22 रु की लागत आई, जबकि इसी नोट को 2018-19 में छापने पर कुल खर्च आता था 1.24 रु। बताते चलें कि 10 रु का नोट 0.94 रु और 20 रु का नोट 0.90 रु में तैयार होता है।