Old is Gold, A Old Chair Auctioned On More Than 16 Lakhs : अंग्रेजी की पुरानी कहावत (Proverb) ‘ओल्ड इज गोल्ड’ नए जमाने में भी अपनी सार्थकता साबित करती रहती है। आज भी अक्सर यह देखा जाता है कि कोई सस्ती, मगर एंटीक चीज, बहुत अधिक कीमत पर बिकती है। जैसे कि लोग अकसर पुरानी करेंसी का कोई नोट या सिक्का बेच कर मालामाल होजाते हैं, इसी तरह कई पुरानी मूर्तियों की कीमत भी बहुत अधिक होती है। इसी कड़ी में एक पुरानी कुर्सी के बहुत अधिक कीमत पर बिकने की खबर सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ समय पहले एक महिला ने एक कबाड़ की दुकान से एक कुर्सी खरीदी। उसने इस कुर्सी को सिर्फ 5 पाउंड या करीब 500 रु में खरीदा। लकड़ी की ये कुर्सी इसी साल नीलाम की गई। नीलामी में यह 16,250 पाउंड यानी करीब 16.4 लाख रुपये में बिकी।
किसने खरीदी कुर्सी
यह कुर्सी स्टैनस्टेड माउंटफिचेट, एसेक्स के स्वॉर्डर्स नीलामियों में बिक्री के लिए रखी गई। ऑस्ट्रिया के एक डीलर ने फोन पर इस कुर्सी को 16,250 पाउंड (16.4 लाख रुपये) में खरीदा। बात दें कि एक रिपोर्ट के अनुसार जॉन ब्लैक, जो कि स्वॉर्डर्स के एक विशेषज्ञ हैं, ने सबसे पहले कुर्सी को महत्व दिया था। उन्होंने इसकी बिक्री पर खुशी जताई। वे यह जानकर भी विशेष रूप से प्रसन्न हैं कि यह कुर्सी ऑस्ट्रिया वापस जा रही है। विक्रेता भी रोमांचित है।
ब्रिटेन का है यह मामला
यह मामला ब्रिटेन का है। एक महिला ने ईस्ट ससेक्स के ब्राइटन में एक दुकान से इस कुर्सी को खरीदा था, पर उसे भी नहीं पता था कि ये कुर्सी एक मूल्यवान डिजाइन वाली कुर्सी है। उसका एक मूल्यांकक (वैल्यू लगाने वाला) से संपर्क हुआ। उससे पता चला कि वे कुर्सी ऑस्ट्रिया के विएना में 20वीं सदी के शुरुआती समय में बनाई गई थी। इसे अवंत-गार्डे आर्ट स्कूल में बनाया गया था।
1902 की है कुर्सी
कुर्सी को 1902 में मशहूर ऑस्ट्रियाई पेंटर कोलोमन मोजर ने डिजाइन किया था। मोजर वियना सेकेशन मूवमेंट के एक कलाकार थे, जिन्होंने पारंपरिक कलात्मक शैलियों को खारिज कर दिया था। ये कुर्सी 18वीं शताब्दी की पारंपरिक लैडर-बैक कुर्सी की आधुनिक पुनर्व्याख्या (नये तरीके से पेश करना) है। कुर्सी में डेकोरेटिव एलीमेंट सीट पर चेकरबोर्ड जैसा ग्रिड है।