Women Naga Sadhu and their lifestyle : नागा साधु को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह की भ्रांतियां हैं। कुछ अल्प जानकारी की वजह से और कुछ इनके बारे में समय-समय पर आने वाली खबरों को लेकर। इन्हीं नागा साधुओं में एक बड़ी जमात महिला नागा साधुओं की भी है। सवाल यह उठता है कि क्या नागा साधुओं की तरह महिला नागा साधु भी कपड़े नहीं पहनती। उनकी जीवन शैली क्या है, उनकी दिनचर्या कैसी है। तो आज हम इन्हीं विषयों पर चर्चा करेंगे। आज के समय में यह विषय और भी प्रासंगिक इसलिए हो गया है, क्योंकि प्रयागराज में इन दिनों माघ मेला चल रहा है, जिसमें देस ही नहीं, विदेश से भी श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला लगा है। गंगा, जमुना और सरस्वती के संगम में स्नान बेहद पवित्र माना जाता है, यह तो हम सभी जानते हैं। यही वजह है कि महाशिवरात्रि तक चलने वाले इस आयोजन में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का आना लगा हुआ है। इसमें साधु संत, विभिन्न अखाड़ों के साधु, नागा साधु के साथ-साथ महिला नागा साधु भी शामिल हैं।
इतना आसान नहीं नागा साधु बनना, दशक से डेढ़ दशक की कठिन तपस्या का है यह प्रतिफल
नागा साधु बनने की प्रक्रिया बहुत ही कठिन है। कई वर्षों की कड़ी परीक्षा के बाद ही उन्हें नागा कहलाने की सिद्धि प्राप्त होती है। जहां तक महिला नागा साधु की बात है, इसके लिए महिलाओं को कई कठिन परीक्षाओं से गुजारना होता है। उन्हें दशक से डेढ़ दशक तक कथित ब्रह्मचर्य जीवन का पालन करना होता है। उन्हें अपने गुरु को भरोसा दिलाना होता है कि उनका जीवन पूरी तरह से ईश्वर को समर्पित हो चुका है। उनका पूरा दिन ईश्वर की भक्ति में लीन होकर गुजरता है। इसके बाद ही उन्हें यह उपाधि मिलती है।
जीते जी करना होता है खुद का पिंडदान
नागा साधु बनने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद महिलाओं को अपना सिर मुंडन करवाना होता है। इसके बाद पवित्र नदी में स्नान कर पूरे विधि विधान के साथ उन्हें नागा साधु की उपाधि दी जाती है।
धारण करती हैं गेरुआ वस्त्र, माता का मिलता है स्थान
महिला नागा साधु की दिनचर्या ईश्वर की आराधना से शुरू होती है और शाम भी कुछ इसी तरह गुजरता है। महिला साधु सामान्य तौर पर गेरुआ रंग का वस्त्र धारण करती हैं जोकि सिला हुआ नहीं होता है इस वस्त्र को गलती कहते हैं। नागा महिला साधुओं को सिर पर तिलक लगाना अनिवार्य होता है। सम्मान की बात करें तो नागा साधुओं के बीच इनकी मौजूदगी माता के समकक्ष होती है। साधु और साध्वियां उन्हें माता का कहकर पुकारती हैं। उनका ओहदा बहुत ही ऊंचा होता है।