प्राइम मिनिस्टर (PM) मोदी के सबसे चहेते और India (भारत) के दो सबसे बड़े बिजनेस ग्रुप अडानी और रिलायंस ने आपस में मिलकर एक ऐसा समझौता किया है कि कर्मचारियों के होश उड़ जाएंगे। उनका हाल बेहाल हो जाएगा। भविष्य में नौकरी के लाले पड़ जाएंगे। उन्होंने ‘नो पोचिंग’ एग्रीमेंट किया है। इस एग्रीमेंट के तहत रिलायंस इंडस्ट्रीज के कर्मचारी न अडानी ग्रुप में नौकरी कर सकेंगे और न अडानी ग्रुप के कर्मचारी रिलायंस इंडस्ट्रीज में काम कर सकेंगे। ये जो एग्रीमेंट हैं। इस वर्ष मई से लागू हो गया है। दोनों कंपनी से जुड़े सभी कारोबार में लागू होगा।
जानिए एग्रीमेंट की वजह
‘नो पोचिंग’ एग्रीमेंट इसलिए भी जरूरी हैं, क्योंकि अडानी ग्रुप उन बिजनेस में भी एंट्री करने जा रहा है, जिस बिजनेस को रिलायंस पहले से ही कर रहा हैं। अडानी समूह ने पिछले वर्ष ही अडानी पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड के साथ पेट्रोकेमिकल के क्षेत्र में एंट्री करने की घोषणा की थी। रिलायंस की उपस्थिति इस सेक्टर में पहले से ही हैं। उसके साथ ही अडानी समूह ने टेलीकॉम में अपनी एंट्री का पहला कदम बढ़ा दिया है। हाल ही में 5जी स्पेक्ट्रम के लिए अडानी ने बोली लगाई है। वही हम ग्रीन एनर्जी सेक्टर की बात करते हैं तो अडानी समूह और अंबानी एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी बनते दिख रहे हैं। मीडिया की बात करें तो रिलायंस के बाद अडानी ने भी अपनी एंट्री कर ली है।
कितने स्टॉप पर पड़ेगा असर
इस एग्रीमेंट के कारण अब लाखों कर्मचारियों के रास्ते बंद हो गए हैं। रिलायंस के 3.8 लाख से अधिक कर्मचारी हैं। वही अडानी ग्रुप के भी हजारों कर्मचारी मुकेश अंबानी की किसी भी कंपनी में काम नहीं कर पाएंगे।
इस कारण किया जा रहा जान-बूझ कर
‘नो पोचिंग’ एग्रीमेंट का चलन एक प्रथा के रूप में नहीं रहा है। देश में अब इस एग्रीमेंट का चलन बहुत तेजी से जान-बूझ कर बढ़ाया जा रहा है। सैलरी हाइक और टैलेंट वॉर के कारण कंपनियां ‘नो पोचिंग’ एग्रीमेंट पर जोर दे रही है। कंपनियों के लिए एक रिस्क की तरह है। सैलरी हाइक या कर्मचारियों की बढ़ती सैलरी। खासकर उस सेक्टर में, जहां टेलेंट बेहद कम हैं।