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क्या भारत में नशीले पदार्थों का अवैध व्यापार करती है ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट, कैट ने गृह मंत्री अमित शाह से जांच की मांग की

क्या भारत में नशीले पदार्थों का अवैध व्यापार करती है ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट, कैट ने गृह मंत्री अमित शाह से जांच की मांग की

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कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट के खिलाफ तत्काल जांच करवाने का आग्रह किया है। कैट ने एक पत्र भेजकर गृह मंत्री शाह से भारत में नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार के लिए ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच करवाने के साथ सख्त कार्रवाई करने की मांग की।

रैकेट में फ्लिपकार्ट के शामिल होने की आशंका 

कारोबारी संगठन कैट ने जारी एक बयान में कहा कि अभी दो दिन पहले नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने हेरोइन एवं अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की आपूर्ति का एक रैकेट दिल्ली में पकड़ा है, जिसमें ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट के शामिल होने की आशंका जताई गई है। ऐसे में इसकी सच्चाई का पता जांच से ही चलेगा। कैट के मुताबिक एनसीबी की कार्रवाई के दौरान हेरोइन फ्लिपकार्ट की पैकिंग में बरामद की गई है।

हेरोइन फ्लिपकार्ट पैकिंग में

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि इस लिहाज से ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट के इसमें शामिल होने की भूमिका से इनकार भी नहीं किया जा सकता है, जो कि एनडीपीएस अधिनियम की धारा-20 (बी) का उल्लंघन है। खंडेलवाल ने कहा कि एनडीपीएस अधिनियम धारा-20 (बी) के अनुसार ‘उत्पादन, निर्माण, स्वामित्व, खरीद-बिक्री, परिवहन, अंतर-राज्य आयात, अंतर-राज्य निर्यात या भांग का उपयोग दंडनीय होगा। ऐसे में जब्त की गई हेरोइन और अन्य सामान मीडिया पर उपलब्ध वीडियो और तस्वीरों के अनुसार फ्लिपकार्ट पैकिंग में दिखी है, जिसकी जांच जरूरी है।

ऐसा करना गंभीर अपराध

खंडेलवाल ने कहा कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो न केवल मादक पदार्थों की तस्करी की रोकथाम में बल्कि, देश के विभिन्न हिस्सों में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के हालिया मामलों में सक्रिय रहा है। देशभर के व्यापारी इस संबंध में एनसीबी के प्रयासों की सराहना करते हैं। ऐसे में नशीले पदार्थों के उपयोग और दुरुपयोग को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। ऐसा करना गंभीर अपराध है। उन्होंने कहा कि संदिग्ध लेनदेन के मामले में फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां आमतौर पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000 की धारा 79 के अंतर्गत एक ‘मध्यस्थ’ होने का आश्रय लेती हैं।

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