Gold Selling Rules Changed With New Financial Year : नया वित्तीय वर्ष (Financial Year) शुरू होने के साथ सरकार ने सोना (Gold) बेचने के नियम (Rule) में भी कुछ बदलाव किया है। इसे ग्राहकों को सोना खरीदने के पहले जान लेना जरूरी है। अब कोई भी सुनार बिना किसी हॉलमार्क टैग के सोने को नहीं बेच सकेगा। अब से सोने पर 6 डिजिट का कोड दर्ज होगा। देख लें इसकी विस्तृत जानकारी।
क्या होता है गोल्ड का हॉलमार्क
जब आप सुनार से सोने को खरीदते हैं, तो फिर वह सोना शुद्ध है या नहीं, इसकी शुद्धता की जांच भारतीय मानक ब्यूरो (बीएसआई) तय करती है। बीएसआई जेवर आदि की जांच करता है। अगर धातु शुद्ध होता है तो फिर इसमें एक मार्क दिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को हलमार्क कहते है।
हॉलमार्क लगने से ग्राहकों को लाभ
अगर सोने में हॉलमार्क लगता है, तो फिर इससे सोना नकली सोने पर सोने की बिक्री पर रोक लगाना संभव हो सकता है। इसके साथ ही इससे सोने या फिर सोने की बनी ज्वैलरी को ट्रेस कर पानि आसान हो जाता है।
क्यों पड़ी इसकी जरूरत, मेकिंग चार्ज पर क्या होता है असर
देश में लोग नकली या फिर कम शुद्ध सोने को न खरीद लें, इसके लिए सोने में हालमार्किंग की जा रही है। जो हॉलमार्क वाला सोने है, इसकी पहचान करना बेहद आसान है। हॉलमार्क में 6 डिजिट का एक कोड होता है। यह पहले 4 अंक का ही होता था। इस कोड को हॉलमार्क यूनिक आइडेंटीफिकेशन नंबर कहा जाता है। मेकिंग चार्ज पर नए कानून को लागू होने से कोई असर नहीं पड़ने वाला है। जो मेकिंग चार्ज है, यह पहले की तरह लगता रहेगा।
विक्रेता को देना होगा 5 गुना जुर्माना
अगर इस नियम को तोड़ा जाता है, तो फिर सुनार को सोने की कीमत के 5 गुना जुर्माना देना होगा। इसके अलावा एक साल की कैद हो सकती है या फिर दोनों को सकता है।
क्या पुराने सोने पर हॉलमार्क लगा पाएंगे
आम लोग बिना हॉलमार्क के किसी भी सुनार को सोना बेच सकते हैं। लेकिन, जब ज्वेलर द्वारा दोबारा सोना को नया बनाकर यानी उसकी ज्वेलरी को बनाकर बेचा जाएगा तब उसमें हॉलमार्क लगवाना होगा। नया हॉल मार्क नंबर सभी सोने, बिस्किट, सोने से बने जेवर और सिक्कों पर जारी होंगे।