New Delhi news : भारत और चीन के बीच सीमा पर ही नहीं आर्थिक क्षेत्र में भी प्रतिद्वंद्विता की स्थिति रहती है। हाल की स्थिति देखे तो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में लगातार भारत के बढ़ते कदम ने चीन की नींद उड़ा दी है। पिछले कुछ वर्षों में ड्रैगन की मैन्युफैक्चरिंग रफ्तार धीमी होई है। चीन से लगातार बड़ी टेक कंपनियां दूरी बना रही हैं। ऐपल इसका सबसे सटीक उदाहरण है। यही कारण है कि चीन की कोशिश भारत को लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से दूर रखने की है।
भारत में बढ़ रहा प्राइवेट कंपनियों का निवेश
चीन में भारत से डर का आलम ये है कि चीन के वाणिज्य मंत्रालय को इस साल जुलाई में एक मीटिंग करनी पड़ी है, जिसमें चीन ने अपने लोकल इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माताओं को नसीसत दी है कि वो भारत में निवेश न करें। प्राइवेट कंपनियों का निवेश भारत में लगातार बढ़ रहा है और चीन में घट रहा है चीन के लिए यही सबसे बड़ी चिंता का विषय है। चीन को स्मार्टफोन के मामले में बड़ा झटका लगा है। जिससे वो पहले से ज्यादा सतर्क हो गया है।
भारत स्मार्टफोन का मैन्युफैक्चरिंग का हब
आज के समय में भारत स्मार्टफोन का बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब है। भारत में न सिर्फ स्मार्टफोन को बनाया जा रहा है, बल्कि स्मार्टफोन के पार्ट्स का प्रोडक्शन शुरू हो गया है। पीएम मोदी की तरफ से सेमीकंडक्टर को घरेलू स्तर पर बनाने का लक्ष्य तय किया गया है, जिसके बाद से चीन डरा हुआ है। भारत मौजूदा वक्त में स्मार्टफोन को एक्सपोर्ट कर रहा है। ऐपल और गूगल जैसे प्रीमियम स्मार्टफोन की मैन्युफैक्चरिंग भारत में शुरू हो चुकी हैं।