देश के बैंक अब बकाया वसूली के लिए तीसरी पार्टी का सहारा लेकर ग्राहकों को डरा-धमका नहीं सकेंगे। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 21 अप्रैल को इस संबंध में बैंकों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। इसके अलावा बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान ग्राहकों की मंजूरी के बिना डेबिट/क्रेडिट कार्ड न तो जारी कर सकेंगे और न ही अपग्रेड या एक्टिव कर सकेंगे। ऐसा करने पर कार्ड जारी करने वाले को सभी शुल्क ग्राहक को वापस करने होंगे। साथ ही क्रेडिट कार्ड बिल का दोगुना जुर्माना भी देना पड़ेगा। नया नियम एक जुलाई 2022 से लागू होगा।
लोकपाल से शिकायत कर सकते हैं ग्राहक
आरबीआई ने कहा कि जिस व्यक्ति का कार्ड पर नाम है, वह ऐसे करने वाले बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के खिलाफ केंद्रीय बैंक के लोकपाल से शिकायत कर सकता है। इसमें समय के नुकसान, खर्च और उत्पीड़न के साथ मानसिक प्रताड़ना से जुड़ीं शिकायतें भी दर्ज कराई जा सकती हैं। आरबीआई के मुताबिक, जिन व्यवसायिक बैंकों की नेटवर्थ 100 करोड़ रुपये से ज्यादा है, वे भी अब क्रेडिट कार्ड बिजनेस कर सकते हैं। वे चाहें तो इसके लिए एनबीएफसी, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और अन्य बैंक के साथ मिलकर इसे कर सकते हैं।
क्रेडिट कार्ड का कारोबार नहीं कर सकतीं एनबीएफसी
रिजर्व बैंक ने सर्कुलर में स्पष्ट किया है कि बिना मंजूरी के गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) क्रेडिट और डेबिट कार्ड का कारोबार नहीं कर सकतीं। न ही वे इस तरह के किसी और कारोबार को कर सकती हैं। केंद्रीय बैंक ने बैंकों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि वे ग्राहकों से वसूली के मामले में अपने एजेंट को सही तरीके से काम करने के लिए कहें। ऐसा नहीं करने पर बैंक और वित्तीय कंपनियां अपना विश्वास खो सकती हैं।