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Success Speaks : कभी मिलती थी ₹3000 की मासिक सैलरी, आज करोड़ों का बिजनेस, ₹100 घर से लेकर…

Success Speaks : कभी मिलती थी ₹3000 की मासिक सैलरी, आज करोड़ों का बिजनेस, ₹100 घर से लेकर…

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Success Story To Inspire You, Labour Never Goes In Vain: बेशक परिश्रम कभी विफल नहीं होता। विफल होता हुआ दिख सकता है, लेकिन जीत अंततः इसी की होती है और आज प्रेरणा देने लायक इसका उदाहरण हैं मलय देबनाथ। वह देबनाथ कैटरर्स एंड डेकोरेटर्स के फाउंडर हैं। देबनाथ अपने गांव से केवल 100 रु लेकर निकले थे। उन्होंने 3 हजार रु महीने के वेतन पर 18-18 घंटे काम किया और आज वह करोड़ों रु के बिजनेस के मालिक हैं। आज हम जानते हैं इनके सक्सेस का राज।

जानी-मानी कैटरिंग फर्म

देबनाथ कैटरर्स एंड डेकोरेटर्स कंपनी एक जानी-मानी कैटरिंग फर्म है। उनकी फर्म कैटरिंग का कारोबार तो करती ही है, इसके साथ ही उनकी फर्म 6 ट्रेनों में पैंट्री का प्रबंधन भी करती है। लेकिन, यह तक पहुंचना मलय देबनाथ के लिए इतना आसानी नहीं था। उन्होंने सफल होने के लिए वर्षों का संघर्ष किया है।

पढ़ाई के साथ करने लगे पिता की मदद

बचपन में पुश्तैनी बिजनेस बर्बाद हो जाने के कारण मलय के परिवार को काफी आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ा। मलय पढ़ाई के साथ अपने पिता के चाय के व्यवसाय में हाथ बंटाने लगे। यह सिलसिला कई दिनों तक ऐसा ही चलता रहा। इसके बाद मलय अपनी मां से 100 रु लेकर दिल्ली चले आए।

दिल्ली में मलय देबनाथ ने एक कैटरर के तौर पर कार्य करना शुरू किया। मलय को इस नौकरी में झूठे बर्तन तक साफ करने पड़े। उनके अधिकतर साथियों ने काम पसंद नहीं आने की वजह से नौकरी छोड़ दी। लेकिन, मलय ने इसको शुरुआती संघर्ष समझा और वे शिद्दत से काम करते रहे। इसका नतीजा यह रहा कि एक वर्ष के बाद मलय के वेतन को बढ़ाकर 3 हजार रु कर दिया गया। उन्होंने अपनी फैमिली के पालन-पोषण के लिए 18 घंटे तक काम किया।

करियर में टर्निंग प्वाइंट

उनके करियर में टर्निंग प्वाइंट तब आया। जब उन्होंने भारतीय पर्यटन विकास निगम से होटल मैनेजमेंट का कोर्स पूरा किया। इसके बाद वे देखी में एक इवेंट मैनेजमेंट फर्म से जुड़ गए। यह उन्होंने काम किया और उनको काम करते हुए उनके कार्य को एक नई पहचान मिली। इस दौरान उनके कई सारे दोस्त बने जिन्होंने उनको कैटरिंग कंपनी शुरू करने में सहायता की। आज उनकी कंपनी देश भर में 35 से अधिक आर्मी मेस का कामकाज संभालती है। उन्होंने उत्तर बंगाल में चाय बागानों समेत करीब 200 करोड़ रुपये की संपत्ति बनाई है।

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