सुप्रीम कोर्ट देश के भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की सजा पर 11 जुलाई को अपना फैसला सुनाएगा। जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह बात कही।। विजय माल्या को 2017 में ही सुप्रीम कोर्ट ने पैसों के लेनदेन की झूठी जानकारी देने के लिए अवमानना का दोषी ठहराया था। पांच साल तक सजा पर चर्चा के लिए न तो भगोड़ा कारोबारी विजय माल्या पेश हुआ और न उसकी तरफ से कोई वकील।
माल्या के प्रत्यर्पण की कार्रवाई अंतिम चरण में
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 10 फरवरी को कोर्ट ने विजय माल्या को अपना पक्ष रखने के लिए अंतिम मौका दिया था। 24 जनवरी को कोर्ट ने कहा था कि दोषी का प्रत्यर्पण हो या नहीं, सजा पर फैसले के लिए और इंतजार नहीं होगा। दोषी अपने वकील के माध्यम से पक्ष रख सकता है। सुनवाई के दौरान विदेश मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि विजय माल्या के प्रत्यर्पण की कार्यवाही अंतिम चरण में है।
माल्या की पुनर्विचार याचिका हो चुकी है खारिज
31 अगस्त 2020 को अवमानना मामले में दोषी करार देने के फैसले के खिलाफ विजय माल्या की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी गई थी। कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को विजय माल्या की उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई, 2017 को डिएगो डील के 40 मिलियन डॉलर बच्चों के अकाउंट में ट्रांसफर करने और सम्पत्ति का ब्योरा न देने का दोषी माना था। विजय माल्या ने सुप्रीम कोर्ट में इसी फैसले की समीक्षा की मांग करते हुए रिव्यू पिटीशन दायर की थी। माल्या ने सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की है। माल्या ने भारत में अपनी संपत्ति जब्त करने के लिए ईडी की ओर से शुरू की गई कार्रवाई के खिलाफ याचिका दाखिल की है। पुनर्विचार याचिका लंबे समय तक जजों के सामने नहीं लगी थी जिसकी वजह से कोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री से भी जवाब मांगा था।