Russia-Ukraine (रूस-यूक्रेन) जंग भीषण स्थिति में पहुंचा हुआ है। रूस यूक्रेन को हर तरह से तबाह करने पर तुला हुआ है। रूस के खिलाफ दुनिया के तमाम देश आर्थिक प्रतिबंध लगा चुके हैं, लेकिन वह इससे जरा भी सोचने समझने को तैयार नहीं है। रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों के कारण कच्चे तेल की आपूर्ति के संकट की आशंका का असर 2 मार्च को भयंकर रूप में सामने आया। कच्चे तेल की कीमतें 8 वर्षों के भीतर सबसे ज्यादा उछाल की स्थिति मैं दिखीं। इससे स्पष्ट है कि निकट भविष्य में भारत जैसे देशों में आम जनता को महंगाई रुलाएगी।
आशंका जताई जा रही है कि यूपी में विधानसभा के लिए चुनाव समाप्त होते ही पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी हो सकती है। सबसे पहले इसकी वजह से गरीब और मध्य वर्ग के लोग आर्थिक त्रासदी झेलने को मजबूर होंगे।
लंदन का ब्रेंट क्रूड $111 प्रति बैरल के पार
अंतरराष्ट्रीय बाजार में लंदन का ब्रेंट क्रूड बुधवार को पांच प्रतिशत की छलांग लगाकर 111 डॉलर प्रति बैरल के पार हो गया, जो जुलाई 2014 के बाद का उच्चतम स्तर है।
अमेरिकी क्रूड भी करीब पांच फीसदी की तेजी से 108 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया, जो सितंबर 2013 के बाद का उच्चतम स्तर है। आईआईएफएल सिक्योरिटीज के शोध उपाध्यक्ष अनुज गुप्ता के मुताबिक ब्रेंट क्रूड आने वाले समय में 115 से 125 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है।
युद्ध बता रहा है कि प्रतिबंध के दायरे आ सकता है रूस का तेल निर्यात
यह सही है कि पश्चिमी देशों ने हालांकि रूस के कच्चे तेल के निर्यात पर प्रत्यक्ष प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन उस पर लगाए अन्य आर्थिक प्रतिबंध कच्चे तेल की कीमतों को आसमान चढ़ा रहे हैं। इसके अलावा रूस का तेल निर्यात भी प्रतिबंध के दायरे में आ सकता है, इसकी आशंका से भी कच्चे तेल को बल मिला है।