कोरोना महामारी की वजह से जब कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम की शुरुआत की थी तो बहुत सारे ऐसे कर्मचारी थे, जिन्हें घर से काम करने में दिक्कत हो रही थी। लेकिन अब घर से काम करना ज्यादातर कर्मचारियों को रास आने लगिए है। अब कर्मचारी ऑफिस जाने की बजाय घर से ही काम करना पसंद करते हैं। अब तो स्थिति यह है कि ऑफिस आने का दबाव डाले जाने पर कर्मचारी नौकरी तक छोड़ने को फौरन तैयार रहते हैं।
व्हाइटहेट जूनियर नामक कंपनी में हुआ वाकया
यह वाक्या हुआ है ऑनलाइन एजुकेशन देने वाली कंपनी व्हाइटहेट जूनियर के साथ। इस एडटेक कंपनी के 800 से अधिक कर्मचारियों ने पिछले दो महीने में इस्तीफा दे दिया है। दरअसल, कंपनी ने ‘वर्क फ्रॉम होम’ खत्म कर इन कर्मचारियों को ऑफिस आकर काम करने के लिए कहा था। इसके बाद से ही कर्मचारी इस्तीफा दे रहे हैं.
ऑफिस जाने को तैयार नहीं हैं कर्मचारी
मनीकंट्रोल ने एक रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि WhiteHat Jr ने 18 मार्च को ‘वर्क फ्रॉम होम’ पॉलिसी खत्म करने की घोषणा की थी। सभी कर्मचारियों को एक महीने के अंदर यानी 18 अप्रैल तक ऑफिस आकर काम करने का निर्देश दिया था। इस वजह से करीब 800 कर्मचारियों ने इस्तीफा दे दिया, क्योंकि वे ऑफिस आने के लिए तैयार नहीं थे। इस्तीफा देने वाले कर्मचारियों में सेल्स, कोडिंग और मैथ टीम के कर्मचारी शामिल हैं. आने वाले महीनों में और कर्मचारी इस्तीफा दे सकते हैं।
कर्मचारियों ने लगाए कंपनी पर लगाए आरोप
इस्तीफा देने वाले एक कर्मचारी ने बताया कि एक महीने का समय पर्याप्त नहीं था। कर्मचारियों की अलग-अलग तरह की पारिवारिक समस्याएं हैं।किसी के साथ बच्चे और उनके स्कूल की समस्या है, तो किसी के साथ बीमार माता-पिता हैं। इसके अलावा अन्य पारिवारिक जिम्मेदारियां हैं। इतने कम नोटिस पीरियड पर ऑफिस बुलाना किसी भी तरह से सही नहीं है. एक कर्मचारी ने कहा कि यह लागत घटाने की सोची-समझी रणनीति है।कंपनी घाटे में चल रही है। बाजार में अपना नाम खराब किए बिना लागत कम करने का यह एक तरीका है। एक अन्य कर्मचारी ने कहा कि कर्मचारियों की छंटनी करने का यह कदम है।
सैलरी भी बनी इस्तीफे की एक वजह
एक कर्मचारी ने बताया कि इस्तीफे के पीछे की वजह सैलरी भी है।भर्ती के समय कर्मचारियों से कहा गया था कि WhiteHat Jr के गुरुग्राम, मुंबई और बेंगलुरु में ऑफिस हैं। उन्हें इन जगहों पर काम करना पड़ेगा। करीब दो साल तक घर से काम करने के बाद उनकी सैलरी बढ़नी चाहिए, ताकि वे इन महंगे शहरों में रहने का खर्च उठा सकें।