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Bollywood: स्मिता पाटिल…, नाम ही काफी है, कम उम्र में उन्होंने रच दिया इतिहास

Bollywood: स्मिता पाटिल…, नाम ही काफी है, कम उम्र में उन्होंने रच दिया इतिहास

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Bollywood news, Bollywood update, Bollywood movie, actress, actress Smita Patil, Mumbai update, Mumbai news : आज बॉलीवुड उस अभिनेत्री का जन्मदिन मना रहा है, जिन्होंने भले ही भारतीय सिनेमा को ज्यादा वक्त नहीं दिया, लेकिन फिर भी अभिनय की वजह से काफी चर्चित रहीं। हम बात कर रहे हैं स्मिता पाटिल की, जो पर्दे पर अपने गंभीर अभिनय के लिए जानी गईं और सहज और गंभीर किरदार निभाए। स्मिता पाटिल ने महज 33 साल की उम्र में ही दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन अपनी फिल्मों के साथ वह आज भी करोड़ों दिलों पर राज कर रहीं हैं। आइए आज उन्हीं की चर्चा करें।

 … तो बॉम्बे दूरदर्शन में मराठी,  समाचार पढ़ती थी स्मिता, पिता थे महाराष्ट्र सरकार में मंत्री 

स्मिता पाटिल का जन्म 17 अक्टूबर 1956 में हुआ था। उनके पिता शिवाजी राय पाटिल महाराष्ट्र सरकार में मंत्री थे और उनकी मां भी समाज सेविका थीं। उन्होंने अपना करियर फिल्मों से शुरू नहीं किया था। इससे पहले वह बॉम्बे दूरदर्शन में मराठी समाचार पढ़ती थीं और उसके बाद उन्होंने फिल्मों में प्रवेश किया।

चरणदास चोर से मिली पहचान,  मंथन’, ‘भूमिका’, और ‘चक्र ने किया स्थापित

स्मिता के फिल्मी करियर की शुरुआत अरुण खोपकर की डिप्लोमा फिल्म से हुई, लेकिन मुख्यधारा के सिनेमा में स्मिता ने ‘चरणदास चोर’ से अपनी मौजूदगी दर्ज की। उसके बाद उन्हें श्याम बेनेगल की फिल्म निशांत में काम करने का अवसर मिला और 1977 में उनकी कई फिल्में रिलीज हुईं। उन्होंने दुग्ध क्रांति पर बनी फिल्म ‘मंथन’, ‘भूमिका’, ‘चक्र’ में उन्होंने जो काम किया, उससे उन्हें फिल्मी दुनिया में अलग जगह बनी और दो बार नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित भी किया गया।

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1985 में मिला पद्मश्री, 1986 में मौत के बाद रिलीज हुईं उनकी 10 से अधिक फिल्में 

सामाजिक मुद्दों से जुड़ी फिल्मों के बाद उन्होंने कई व्यावसायिक फिल्मों में भी काम किया। हालांकि, वह इसके साथ ही समानांतर सिनेमा से अलग नहीं हुईं और उन्होंने सुबह, बाजार, भीगीं पलकें, अर्थ, अर्द्धसत्य, मंडी जैसी फिल्में भी कीं। इसके साथ ही उन्होंने दर्द का रिश्ता, कसम पैदा करने वाले की, आखिर क्यों, गुलामी, अमृत, नजराना और डांस-डांस जैसी व्यावसायिक फिल्में भी की। उनका फिल्मों में करियर बहुत छोटा रहा, लेकिन उन्हें सिनेमा में योगदान के लिए 1985 में पद्मश्री से सम्मानित किया। 13 दिसंबर 1986 को देहांत हो गया था। वहीं, उनके देहांत के बाद उनकी 10 से ज्यादा फिल्में रिलीज हुईं थीं।

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