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Life Saver : Angioplasty से मिली सुष्मिता सेन को नई जिंदगी, जानिए इसका महत्व, कब होता है जरूरी…

Life Saver : Angioplasty से मिली सुष्मिता सेन को नई जिंदगी, जानिए इसका महत्व, कब होता है जरूरी…

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Bollywood Actress Sushmita Sen, Angioplasty, Life Saving : सेहत बुलंद है तो जिंदगी खुश है। जिंदगी में कई ऐसे मौके आते हैं, जब यह खतरे में पड़ जाती है,लेकिन चिकित्सा विज्ञान के प्रयास से यह खतरे के बाहर भी आ जाती है। ऐसा ही हुआ पूर्व मिस यूनिवर्स और बॉलीवुड एक्ट्रेस सुष्मिता सेन के साथ। हाल ही में सोशल मीडिया पर सुष्मिता ने एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमे उन्होंने अपनी सेहत को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम के ज़रिए अपनी सेहत का हाल बताते हुए कहा कि उन्हें कुछ दिन पहले हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद उनकी एंजियोप्लास्टी की गई। आपको बता दें, दिल का दौरा पड़ने के बाद एंजियोप्लास्टी की जाती है। इससे पेशेंट को दिल से जुड़ी तकलीफों से राहत मिलती है। अगर आपको एंजियोप्लास्टी के बारे में नहीं पता है, तो चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर एंजियोप्लास्टी क्या है और कब इसकी जरूरत पड़ती है।

अपने पिता के साथ दी जानकारी

सुष्मिता सेन ने अपने पिता के साथ अपनी तस्वीर शेयर कर पोस्ट में लिखा, ‘अपने दिल को खुश और खुद को साहसी रखें और जब आपको इसकी सबसे अधिक आवश्यकता होगी तो यह आपके साथ खड़ा रहेगा सोना” ये मेरे पिता के कहे शब्द हैं।।। मुझे कुछ दिन पहले दिल का दौरा पड़ा था… मेरी एंजियोप्लास्टी हुई है… स्टेंट लगा है… और सबसे ज़रूरी बात, मेरे हृदय रोग विशेषज्ञ ने पुष्टि की है कि ‘मेरा दिल बड़ा है’ बहुत से लोगों को उनकी समय पर सहायता के लिए धन्यवाद देना चाहिए।

जानें एंजियोप्लास्टी के बारे में

एंजियोप्लास्टी एक प्रकार की सर्जरी है। इस सर्जरी के माध्यम से रक्तधमनियों को चौड़ा किया जाता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन ठीक से होता है। इसे कई नामों से जाना जाता है, कई मौके पर लोग एंजियोप्लास्टी बाईपास सर्जरी और बैलून एंजियोप्लास्टी भी कहते हैं। इस हीलिंग टेक्निक से दिल की सभी समस्याओं का निवारण हो जाता है।

इस स्थिति में की जाती है एंजियोप्लास्टी

डॉक्टर्स की मानें तो दिल की रक्तधमनियों में ब्लड क्लॉट बनने से ब्लड सर्कुलेश सही से नहीं हो पाता है। ब्लड क्लॉट की वजह से रक्तधमनियों में ब्लॉकेज आ जाती है। जिस वजह से सीने में दर्द होने लगता है, सांस लेने में तकलीफ होती है, घबराहट महसूस होती है और पसीना आने लगता है। ऐसी स्थिति में पेशेंट को तुरंत ट्रीटमेंट की जरूरत होती है।

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