– 

Bengali
 – 
bn

English
 – 
en

Gujarati
 – 
gu

Hindi
 – 
hi

Kannada
 – 
kn

Malayalam
 – 
ml

Marathi
 – 
mr

Punjabi
 – 
pa

Tamil
 – 
ta

Telugu
 – 
te

Urdu
 – 
ur

होम

वीडियो

वेब स्टोरी

फिल्म पाइरेसी पर नकेल कसने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने नोडल अधिकारी किये नियुक्त

c3974740 4c29 4fff 9790 df9521630185

Share this:

National news, National update, New Delhi news, new Delhi news, Bollywood news, Bollywood update, Bollywood movie:फिल्म पाइरेसी को रोकने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कदम उठाते हुए नोडल अधिकारी नियुक्त किये हैं। देश भर में 12 नोडल अधिकारी पाइरेसी के खिलाफ शिकायतें प्राप्त करेंगे और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पाइरेटेड सामग्री को हटाने के निर्देश देंगे। उल्लेखनीय है कि इस साल के मानसून सत्र के दौरान संसद ने सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) अधिनियम, 1952 पारित किया है। फिल्म उद्योग को पाइरेसी से हर साल 20,000 करोड़ का नुकसान हो रहा है।

सीधी कार्रवाई करने के लिए कोई संस्थागत तंत्र नहीं था

केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने शुक्रवार को बताया कि अभी तक कॉपीराइट अधिनियम और आईपीसी के तहत कानूनी कार्रवाई को छोड़कर पाइरेटेड फिल्मी सामग्री पर सीधे कार्रवाई करने के लिए कोई संस्थागत तंत्र नहीं था। इंटरनेट के प्रसार और लगभग हर कोई मुफ्त में फिल्मी सामग्री देखने में रुचि रखता है, जिसके कारण पाइरेसी में तेजी देखी गई है। अब इन 12 नोडल अधिकारियों की नियुक्ति के बाद पाइरेसी के मामले में तुरंत कार्रवाई की जा सकेगी और उद्योग को राहत मिलेगी। इनमें से दो नोडल अधिकारी मुख्यालय में बैठेंगे और मुंबई सहित कई क्षेत्रीय कार्यालय में नियुक्त किये गये हैं।

भारत की सॉफ्ट पावर की ताकत को भी बढ़ावा मिलेगा

उन्होंने कहा कि इस कानून से फिल्म उद्योग को लाभ होगा और दुनिया में भारत की सॉफ्ट पावर की ताकत को भी बढ़ावा मिलेगा। इस कानून से पाइरेसी करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किये गये हैं।

उल्लेखनीय है कि सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) अधिनियम का उद्देश्य फिल्म चोरी पर अंकुश लगाना है। इस अधिनियम में साल 1984 में अंतिम महत्वपूर्ण संशोधन किया गया था। डिजिटल पाइरेसी सहित फिल्म पाइरेसी के खिलाफ प्रावधानों को शामिल करने के लिए अधिनियम में 40 वर्षों के बाद संशोधन किया गया। इस कानून के तहत पाइरेसी करने वाले लोगों पर न्यूनतम 3 महीने की कैद और तीन लाख रुपये के जुर्माने की सख्त सजा शामिल है।

कौन आवेदन कर सकता है?

मूल कॉपीराइट धारक या उनके द्वारा अधिकृत कोई भी व्यक्ति पाइरेटेड सामग्री को हटाने के लिए नोडल अधिकारी को आवेदन कर सकता है। यदि कोई शिकायत किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाती है, जिसके पास कॉपीराइट नहीं है या कॉपीराइट धारक द्वारा अधिकृत नहीं है, तो नोडल अधिकारी निर्देश जारी करने से पहले शिकायत की वास्तविकता तय करने के लिए मामले दर मामले के आधार पर सुनवाई कर सकता है। कानून के तहत नोडल अधिकारी से निर्देश प्राप्त करने के बाद डिजिटल प्लेटफॉर्म 48 घंटे के भीतर पाइरेटेड सामग्री होस्ट करने वाले ऐसे इंटरनेट लिंक को हटाने के लिए बाध्य होगा।

Share this:




Related Updates


Latest Updates