Control Diabetes : आज की जीवन शैली रोग पैदा करने वाली बन रही है। अतः हमें कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देकर तनावग्रस्त जीवन को रोगों से दूर रखने पर ध्यान देना जरूरी है। शुगर की बीमारी आज के समय में एक आम बीमारी बन गई है, जिसके कारण शरीर के अन्य अंग भी प्रभावित होते हैं और और सेहत की समस्या जटिल हो जाती है। अतः शुगर को कंट्रोल कर अन्य बीमारियों से भी बचा जा सकता है। शुगर के मरीजों को खान-पान का विशेष ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि आहार में लापरवाही डायबिटीज (diabetes) के लेवल को बढ़ा देती है। इसलिए जिनके घर में शुगर पेशेंट (sugar patient) हैं, उन्हें खान पान (diet) को लेकर सावधानी बरतनी पड़ती है। बताते हैं कि डायबिटीज में इंसुलिन (Insulin) की कमी हो जाती है। इंसुलिन से याद आया कि इसके पौधे की पत्तियों को चबाने से शरीर में इंसुलिन का लेवल मेंटेन रहता है। अब जानते हैं इस पौधे से संबंधित महत्वपूर्ण बातें।
थोड़े-थोड़े गैप के बाद खाएं हल्का खाना
A- इंसुलिन के पौधे में कोर्सोलिक एसिड पाया जाता है जो खांसी, सर्दी, इंफेक्शन, फेफड़ों और अस्थमा जैसी बीमारियों में लाभकारी होता है। डायबिटीज पेशेंट थोड़ी-थोड़ी गैपिंग के साथ 6 से 7 बार खाना खाएंगे तो बार-बार शरीर में इंसुलिन बनेगा। मतलब शुगर पेशेंट को गैपिंग पर खाना लाभकारी है।
ऐसे कंट्रोल में रहेगी डायबिटीज
B- हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो इंसुलिन पौधे की पत्ती को एक महीना रोजाना चबाने से शुगर में राहत मिलती है। इसका सेवन आप चूरन के रूप में भी कर सकती हैं। बस आपको सूखे पत्तों को पीसकर पाउडर बनाना है। इससे डायबिटीज कंट्रोल में रहती है।
इस पौधे की पत्तियों में पाए जाते हैं कई पोषक तत्व
C- इस पौधे में प्रोटीन, टेरपेनोइड्स, फ्लेवोनोइड्स, एंटीऑक्सीडेंट, एस्कॉर्बिक एसिड, आयरन, बी कैरोटीन, कोरोसॉलिक एसिड सहित कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शुगर में रामबाण साबित होते हैं।
पपीता, अमरूद, सेब और नारंगी लाभदायक
D – शुगर पेशेंट को साबुत अनाज, ओट्स, चने का आटा, मोटा अनाज, टोंड दूध सहित दही और मट्ठा, रेशे वाली सब्जियां जैसे- मटर, फलिया, गोभी, भिंडी, पालक सहित बाकी हरे पत्तेदार सब्जियां, छिलके वाली दालें, ओमेगा 3 फैटी एसिड वाले तेल, फल में पपीता, सेब, संतरा और अमरूद ज्यादा फायदेमंद है।
हमारी राय : हेल्थ संबंधी उक्त बातें किसी विशेषज्ञता का दावा नहीं करती हैं। अतः किसी भी बीमारी के इलाज में विशेषज्ञ डॉक्टर की राय और उसके इलाज की प्रक्रिया को ही सर्वोपरि मानना चाहिए।