Depression is very dangerous, avoid becoming a victim…do this thing, Health tips, health alert, health news, ghar ka doctor, Lifestyle, problems and solution : जिन्दगी की तेज रफ्तार और आपसी सौहार्द के अभाव में आज हर कोई काफी तनाव और घुटन का अनुभव कर रहा है। उचित सहयोग और परामर्श के नहीं मिलने पर भी लोग कुंठा और निराशा का शिकार हो जाते हैं। कभी-कभी व्यक्ति दूसरों पर इतना आश्रित हो जाता है कि उसे अपना सब कुछ मान बैठता है। उससे बड़ी-बड़ी अपेक्षाएं रखना लगता है। लेकिन, जब उस व्यक्ति द्वारा उसकी अपेक्षाएं पूरी नहीं हो पाती हैं, तो वह कुंठा का शिकार हो जाता है। उसे पूरी दुनिया बेगानी लगने लगती है या कभी-कभी यह होता है कि व्यक्ति कुछ करना चाहता है, आगे बढ़ना चाहता है, लेकिन उसके मन में तरह-तरह की आशंकाएं घर करने लगती हैं कि कोई क्या कहेगा या हमारे बारे में लोग क्या सोचेंगे। यही सोच कर व्यक्ति अपने कदम वापस खींच लेता है। उसमें कुछ करने का साहस नहीं रह जाता। यदि व्यक्ति कुछ बातों पर गम्भीरता के साथ ध्यान दे, तो वह आनेवाली परेशानियों से बच सकता है।
इन बातों पर ध्यान देना बेहद जरूरी
● दूसरों को उपदेश देने के बजाय स्वयं पर ध्यान दें।
● जितनी ऊर्जा हम बोलने में खर्च करते हैं, उतनी मौन रह कर बचायी जा सकती है। इसलिए कम से कम बोलने का प्रयास करें।
● व्यक्ति को समय और परिस्थिति के अनुसार स्वयं में परिवर्तन करना चाहिए।
● दूसरों से अपेक्षाएं कम से कम करें ; चाहें वह भाई मित्र या सगा-सम्बन्धी कोई भी हो।
● जब कोई आपकी शिकायत करे, तो आप उस व्यक्ति का चेहरा याद करें, जिसने कभी किसी बात पर आपकी तारीफ की थी।
● आप उस व्यक्ति के साथ कड़ाई के साथ पेश आओ और उससे दूरी बना लो, जो तुम्हारी हमेशा ही शिकायत व निन्दा करता हो।
● जितना साधन आपके पास है, उसी का प्रयोग करें।
● सदैव व्यस्त रहें, क्योंकि खाली दिमाग शैतान का घर होता है।
● किसी बात में अनावश्यक हस्तक्षेप न करें, न ही अपनी बात जबरदस्ती दूसरों पर थोपें।
● हमेशा ही भविष्य के बारे में सोचें। जो बीत गया, उसके बारे में कदापि न सोचें, क्योंकि राह चलते वही ठोकरें खाता है, जो पीछे मुड़ कर देखता है।
● वाणी पर हमेशा नियंत्रण रखेंं।
● स्वाध्याय और ईश्वर चिन्तन करना चाहिए। इससे जीने के लिए शक्ति मिलती है।
● अपने दायित्वों का पालन पूरी कर्तव्यनिष्ठा के साथ करें। दूसरे क्या कहते हैं, क्या सोचते हैं, उस पर तनिक भी ध्यान न दें।
● सदैव प्रसन्नचित रहें और दूसरों को भी प्रसन्नचित रखें।
● कभी भी अपनी आयु का अनुभव न करें। इससे निराशा बढ़ती है।