If you are suffering from diabetes then know its reason, understand its solution…, Health tips, health alert, health news, ghar ka doctor, Lifestyle, problems and solution : आज की जीवन शैली के कारण होने वाली तमाम बीमारियों में डायबिटीज यानी शुगर की बीमारी सबसे अधिक चिंताजनक बनाती है। अगर हम इस बीमारी के कारण और निवारण को समझ लेते हैं तो अपनी जीवन शैली में परिवर्तन करेंगे। शारीरिक रूप से परिश्रम करेंगे तो आसानी से इससे छुटकारा मिल सकता है या इसे कंट्रोल कर तो आसानी से रख ही सकते हैं।
आराम की जिंदगी गुजारना ठीक नहीं
ऐसे लोग जो आराम तलब होते हैं, शारीरिक परिश्रम नाम मात्र भी नहीं करते और गरिष्ठ भोजन जैसे मांसाहार, चीनी, घी आदि का सेवन अधिक करते हैं, वे इन पदार्थों को पचा नहीं पाते और उन्हें प्राय: अजीर्ण रोग बना रहता है। यह अजीर्ण जब काफी पुराना पड़ जाता है तो वही आगे चलकर मधुमेह में बदल जाता है।
क्या होता है इस बीमारी में
याद रखिए, यह एक असाधारण एवं खतरनाक रोग है। इस रोग में मूत्र से शक्कर विसर्जित होती है। भारतीय संस्कृत भाषा के मुताबिक यह ‘मधुमेह’ नाम से जाना जाता है। यह नाम प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद की देन है। मधुमेह का शाब्दिक अर्थ होता है मूत्र में शर्करा का विसर्जन।
यह बीमारी खानपान की गड़बड़ी के कारण, अग्न्याशय ग्रंथि की क्रिया में अव्यवस्था आ जाने के कारण होती है। वास्तव में यह बीमारी शारीरिक क्रिया दोषों का प्रतिफल होती है। यह संक्रामक या फैलने वाला रोग नहीं है। इसमें न तो दर्द होता है और न पीड़ा का अनुभव ही होता है। इसे हम दूसरे शब्दों में यूं कह सकते हैं कि यह बीमारी अग्न्याशय रस के न विसर्जित होने एवं कार्बोहाइड्रेट के आमाशय में गड़बड़ी के कारण इंसुलिन के अनियमित क्रिया कलापों द्वारा उत्पन्न होती है।
इसके अतिरिक्त जो चीनी बच जाती है उसे ग्लाइकोजन बनाकर पित्ताशय अपने अन्दर रख लेता है तथा इसका उपयोग आवश्यकता होने पर किया जा सकता है। जब धातु रस की चीनी कम हो जाती है तो यह ग्लाइकोजन को चीनी में बदलकर पुन: हृदय को प्रस्तुत करता है जिससे हृदय की गति संतुलित हो जाती है। इसमें गड़बड़ होने पर मधुमेह की प्रबल सम्भावना रहती है।
क्यों इसे कहा जाता है राजरोग
इसे ‘राजरोग’ भी कहा जाता है। इसका कारण यह है कि जो लोग मेहनत नहीं करते, व्यायाम नहीं करते एवं गरिष्ठ भोजन करते हैं, वे ही खासतौर से इस रोग के मरीज होते हंै किन्तु इसका मतलब यह कदापि नहीं कि पतले लोगों को यह बीमारी नहीं हो सकती।
इस बीमारी को औषधियों से शीघ्र दबाया जा सकता है, लेकिन हटाया नहीं जा सकता, अत: इसके मरीजों को अपने खान-पान तथा संयम पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
● क्या खाना चाहिए ? : इसके रोगियों को प्रात: दूध या दूध के साथ दलिया (गेहूं का) लेना चाहिए लेकिन दूध न तो गर्म हो और न ही फ्रिज का ठण्डा किया हुआ हो। दूध में चीनी तो छुआनी नहीं चाहिए। इससे पीडि़त व्यक्ति को गेहूं, चना, ज्वार और जौ सबको मिलाकर बिना छाने हुए चोकर सहित आटे की रोटी खानी चाहिए।
इस तरह करें कंट्रोल
हरी सब्जियां जैसे लौकी, पालक, बथुआ, चौलाई, फुलका, मरसा, नेनुआ, परवल, तुरई, करेला आदि का अधिक सेवन करना चाहिए लेकिन आवश्यकता से अधिक नहीं। जहां तक हो सके, इन सब्जियों को उबालकर खाना चाहिए क्योंकि ऐसा करना अधिक फायदेमन्द साबित होता है। ये सब्जियां ज्यादा तली हुई या भुनी हुई नहीं होनी चाहिए। मिर्च मसाले का कम से कम प्रयोग करें।
गाजर, मूली, टमाटर, ककड़ी, खीरा, नींबू आदि का सलाद भी आवश्यकतानुसार नियमित लेना चाहिए। दालों में मूंग, चना, अरहर और उड़द की दालों का ही अधिक प्रयोग करना चाहिए। दही, मट्ठा, घी व मक्खन का सेवन भी करना चाहिए लेकिन घी, रोटी में चुपड़कर नहीं लेना चाहिए। फलों में संतरा, चकोतरा, अनन्नास मकोय, जामुन, खरबूजा, पपीता, आलू, तरबूज, खट्टे सेब एवं नाशपाती या इनका रस समय के अनुसार लेना चाहिए।