Health news : हाल ही में हुए एक अध्ययन में ब्रिटेन के मैन चेस्टर रायल इन्फर्मरी के मनोवैज्ञानिक डॉ. फ्रांसिस क्रीड के हवाले से बताया गया है कि दिल की बीमारियों का किसी व्यक्ति के भावनात्मक और सामाजिक पहलू से गहरा रिश्ता होता है। अतः युवा अवस्था में प्यार-मोहब्बत करना दिल की बीमारियों के सन्दर्भ में काफी फायदेमन्द साबित हो सकता है। उक्त नूतन अध्ययन में यह पाया गया कि बेहतर और नजदीकी रिश्ते हार्टअटैक जैसी अन्य दिल से जुड़ीं खतरनाक बीमारियों से बचाव हेतु कारगर व सहज इलाज हैं।
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ऐसे में दिल की बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है
यह भी पाया गया है कि दोस्त, पार्टनर या सम्बन्धियों के रिश्तों से जो व्यक्ति विशेषकर युवा अवस्था से ही वंचित रह जाते हैं, उन्हें उन लोगों की तुलना में अटैक व दिल की बीमारियां होने की आशंका दोगुनी हो जाती है। सामाजिक परिस्थितियां व्यक्तियों की भावनाओं को बदलने में काफी हद तक सक्षम होती हैं। इनके माध्यम से ही सुख-दुख और टेंशन आदि का अहसास होता है।
मानव शरीर के हारमोन भी प्रभावित होते हैं
मनोविशेषज्ञ डॉ. फ्रांसिस क्रीड का मानना था कि इन्हीं स्थितियों व परिस्थितियों के कारण मानव शरीर के हारमोन भी प्रभावित होते हैं, जिनके परिणाम स्वरूप शरीर की मांसपेशियों के संकुचन आदि जैसी अन्य गतिविधियों, दैनिक व्यवहारों पर इनका सीधा असर होता है। डाॅ. क्रीड के सहयोगी मनोविज्ञानी जैक शीन का मानना है कि हरेक इन्सान की लाइफ में कम से कम एक ऐसा पार्टनर होना चाहिए, जिनसे आप अपनी सारी परेशानियां, सुख-दु:ख कह सकें, ताकि वह आपको सही सलाह दे सके। शीन कहते हैं…”प्यार-दुलार का असर बच्चों पर भी पड़ता है।” उक्त स्टडी में पाया गया है कि जिन बच्चों के माता-पिता एक-दूसरे से प्यार करते हैं, उनके बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं। दरअसल, यहां इसका मतलब यह है कि लोगों के जीवन में प्रेम-मोहब्बत, सौहार्द व अच्छी सोच का होना जरूरी है, ताकि दिल पर किसी प्रकार की चिन्ता व तनाव का बोझ न रहे।