health care, daily life, healh news, healthy life news, health alert, home remedy, How important is it for us to get ECG done? let’s find out : कभी-कभी हमारे सीने में जब हल्का दर्द होता है तो डॉक्टर आपको ईसीजी कराने की सलाह देते हैं। यूं तो हृदय रोग में सीने का दर्द पहला लक्षण माना जाता है और ईसीजी उसे जांचने का सबसे आसान और बेसिक तरीका है लेकिन यह जानना जरूरी है कि ईसीजी क्यों कराना चाहिए और इसके परिणामों का क्या मतलब होता है।
कब जरूरी है ईसीजी?
यदि किसी को सीने में दर्द, सांस लेेने में तकलीफ, चक्कर, बेहोशी या धकधकी सी महसूस हो रही हो तो डॉक्टर ईसीजी कराने की सलाह देते हैं। हालांकि हृदय से जुड़े अधिकांश मामलों की पहचान ईसीजी के जरिए हो जाती है लेकिन अनियमित धड़कनों, ऐंजाइन की स्थिति में ईसीजी की रीडिंग्स पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। जब धड़कनों की दर नापनी हो तो उसके लिए स्ट्रेस टेस्ट किया जाता है जिसमें रोगी को ट्रेडमिल पर चलने को कहा जाता है और फिर रीडिंग ली जाती है। ईसीजी मशीन के साथ रोगी को जोड़ दिया जाता है, जिसमें मशीन लगातार धड़कनों की गति की रीडिंग लेती रहती है, जब व्यक्ति अपने रोजाना के कार्यों को करता है।
ईसीजी करवाते समय करें ये काम
बता दें कि जब ईसीजी करवा रहे हों तो उस दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना होता है। यदि ईसीजी करवाने वाला पुरुष हो तो फिर ईसीजी कराने वाले हिस्से में शेविंग करनी होती है। इससे इलेक्ट्रोड्स बेहतर तरीके से आपकी त्वचा से संपर्क कर पाता है। यदि महिला हैं तो उन्हें इस प्रक्रिया से पहले सारे गहने उतारने होते हैं। हृदय रोग से जुड़ी कोई दवा ले रहे हों तो यह अच्छा है उसकी जानकारी जांच कराने से पहले ही डॉक्टर को दे दी जाए। वह आपको जांच कराने के कुछ घंटों पहले दवा बंद करने की सलाह दे सकते हैं। कई बार डॉक्टर इलेक्ट्रोड्स पैरों या हाथों पर भी लगा सकते हैं इसलिए इस दौरान मोजे न पहनें। क्या कहती है रीडिंग : वैसे इन तरंगों के मतलब को समझ पाना थोड़ा कठिन होता है लेकिन रीडिंग के जरिए आप कुछ बातों को जान सकते हैं।
यदि आपकी हार्ट बीट्स 60 बीट प्रति मिनट हो तो इसका मतलब है कि आप कैड यानी कोरोनरी आर्टरी डिसीज से पीड़ित हैं जिसमें धड़कनें असामान्य रूप से गिर जाती हैं। इसके अलावा थायरॉइड के अनियंत्रित होने जैसी स्थिति में भी धड़कनें अनियमित हो जाती हैं।
यदि हार्ट बीट प्रति मिनट 100 है तो यह एक वॉल्व में गड़बड़ी के भी संकेत हो सकते हैं या फिर हाइपरटेंशन, तनाव जैसी स्थिति में भी ऐसा हो सकता है। हालांकि हृदय से जुड़े अधिकांश मामलों की पहचान ईसीजी के जरिए हो जाती है लेकिन अनियमित धड़कनों, ऐंजाइन की स्थिति में ईसीजी की रीडिंग्स पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।