Health is wealth. सेहत ही दौलत है। सेहत ठीक नहीं है तो हर दौलत बेमानी है। आज की तनावग्रस्त जीवन शैली अधिकतर लोगों की सेहत बिगाड़ रही है। कम उम्र में ही शुगर और ब्लड प्रेशर की बीमारियों से लोग परेशान हैं। इन बीमारियों को बढ़ाने में ओबेसिटी यानी मोटापे की बड़ी भूमिका होती है। मोटापे से परेशान लोग इससे मुक्ति के लिए तरह-तरह के जतन करते हैं, लेकिन इस समस्या का समाधान आसानी से नहीं मिल पाता है। अब इस समस्या के समाधान के लिए नए आइडिया के साथ टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर इसे दूर करने का प्लान तैयार है।
Front of the pack labelling जैसे कदम पर किया जा रहा विचार
यह जानकारी दे दें कि देश के लोगों में मोटापे को लेकर बढ़ती चिंता के बीच नीति आयोग अधिक चीनी, वसा और नमक वाले खाद्य पदार्थों पर कराधान और ‘फ्रंट-ऑफ-द-पैक लेबलिंग’ जैसे कदम उठाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। ‘फ्रंट-ऑफ-द-पैक लेबलिंग’ से उपभोक्ताओं को अधिक चीनी, नमक और वसा वाले उत्पादों को पहचानने में मदद मिलती है।
मोटापा बढ़ाने वाले उत्पादों पर निशान
भारत में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति द्वारा 2014 में पैकेज्ड खाद्य पदार्थों पर एफओपी लेबलिंग की सिफारिश की गई थी। देश कानून लाने की दिशा में इस पर आगे नहीं बढ़ा है। 2019 में, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) ने इस चिंता पर प्रकाश डाला था कि इस तरह के अधिकांश जंक फूड को FSSAI कानून के मसौदे के अनुसार ‘लाल’ लेबल किया जाएगा।
जीवन चर्या में परिवर्तन जरूरी
जब हम मोटापे को बढ़ाने वाले उत्पादों की पहचान कर लेंगे तो बाजार से ऐसी चीजों को उक्त टेक्नोलॉजी की समझ के आधार पर नहीं खरीदेंगे। उसका इस्तेमाल नहीं करेंगे। इसलिए हमें मोटापे की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके साथ ही अपनी जीवन शैली में परिवर्तन लाना तो जरूरी है ही, क्योंकि शरीर से संबंधित परेशानी का असली समाधान मेडिकल साइंस में है और इसके साथ ही योगा और नियमित जीवन चर्या के माध्यम से हम अपने मोटापे को कंट्रोल कर सकते हैं।