Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

सिकल सेल पीढ़ी दर पीढ़ी को परेशान कर सकती है, इसलिए जान लें इसके लक्षण और बचाव

सिकल सेल पीढ़ी दर पीढ़ी को परेशान कर सकती है, इसलिए जान लें इसके लक्षण और बचाव

Share this:

Health tips : सिकल सेल एक जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर होता है, जो शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है। ऐसे में शरीर में आरबीसी की कमी देखने को मिलती है और शरीर के अंगों को ठीक से ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो पाती है। ऐसे में यदि समय रहते इस बीमारी के लक्षणों को पहचान कर इसका इलाज नहीं कराया जाये, तो यह बीमारी घातक हो सकती है। 

सिकल सेल बीमारी

रेड ब्लड सेल को प्रभावित करनेवाली सिकल सेल बीमारी जेनेटिक कारणों से देखने को मिलती है। इस बीमारी के होने पर रेड ब्लड सेल्स की शेप बिगड़ जाती है और शरीर को भी पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। क्योंकि, इस बीमारी में हीमोग्लोबिन में असामान्य चेन बन जाती है। इस कारण सिकल सेल थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारियां आपको अपनी चपेट में ले लेती हैं। इसलिए जरूरी है कि इस बीमारी का समय पर इलाज कराया जाये।

लक्षण

– एनीमिया के कारण पीलापन

– इन्फेक्शन की चपेट में आना

– हड्डियों-मांसपेशियों का दर्द

– बच्चों के विकास में बाधा

– हाथ-पैरों में सूजन

– थकान और कमजोरी

– किडनी की समस्याएं

– आंखों से जुड़ीं दिक्कतें

बचाव

इस बीमारी के खुद का बचाव करने के लिए इसके कारणों को समझना बेहद जरूरी होता है। अधिकतर केसों में यह बीमारी अनुवांशिक कारणों के चलते होती है। यदि माता या पिता में से कोई एक या दोनों इस बीमारी की चपेट में हैं, तो बहुत हद तक इस बीमारी के बच्चे में ट्रांसफर होने का रिस्क रहता है। सिकल सेल डिजीज के जोन के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर होने की आशंका रहती है। सिकल सेल बीमारी के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर होने की बड़ी आशंका होती है। इस बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि आप शादी से पहले अनुवांशिक परामर्श अवश्य लें। वहीं, इसके लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए और लक्षण दिखने पर फौरन डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।

इलाज

आमतौर पर इस बीमारी से पीड़ित लोगों को डॉक्टर ब्लड ट्रांसफ्यूजन की सलाह देते हैं। बता दें कि जब शरीर के हर हिस्से को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है, तो इससे उठनेवाले भयंकर दर्द को दूर करने के लिए हाइड्रोक्सी यूरिया का सहारा लिया जाता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि आनेवाले समय में जीन थेरेपी से इस डिजीज का इलाज करने में काफी सहायता मिल सकती है, जिससे गम्भीर लक्षणवाले मरीजों को काफी फायदा मिल सकेगा।

Share this: