Health news : बदलते मौसम में सर्दी-जुकाम और इंफेक्शन आदि रोगों का खतरा बढ़ जाता है। काली खांसी भी ऐसी ही एक समस्या है। बदलते मौसम में काली खांसी के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। यदि आप सोच रहे हैं कि सर्दी जा चुकी है और अब आप खांसी-जुकाम आदि से सुरक्षित हैं, तो आपका सोचना गलत है। क्योंकि, किसी भी मौसम में हवा के माध्यम से काली खांसी पैदा करने वाले बैक्टीरिया फैल सकते हैं। इसलिए इसके बचाव की जानकारी आपके पास होना जरूरी है। …तो आइए जानते हैं बचाव के तरीके…
जानिए क्या है काली खांसी
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, काली खांसी ‘बोर्डेटेला पर्टुसिस’ नामक बैक्टीरिया से फैलता है, जो मरीज की श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है। इसे मेडिकल भाषा में पर्टुसिस कहा जाता है।
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काली खांसी के लक्षण
काली खांसी के शुरुआती दिनों में नाक बहना या नाक बंद हो जाना, तेज बुखार के साथ खांसी आना और आंखों का लाल हो जाना आदि शामिल है। इसके अलावा काली खांसी के लक्षणों में उल्टी आना, खांसी के साथ गले से आवाज आना और शारीरिक थकान महसूस हो सकती है। इस समस्या के अधिक दिनों तक रहने से सांस लेने में समस्या हो सकती है। इसलिए समय रहते पहचान और इलाज बेहद जरूरी है।
इसके साथ ही काली खांसी का खतरा अस्थमा से पीड़ित लोगों में अधिक होता है। अस्थमा के मरीजों को काली खांसी के चलते काफी समस्या आ सकती है। किसी को बचपन में काली खांसी होने से आगे चल कर अस्थमा का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
ऐसे करें बचाव
आपको बता दें कि काली खांसी का सबसे अधिक खतरा छोटे बच्चों को होता है। कई बार यह नवजात बच्चों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है। काली खांसी से बचाव के लिए डीटीएपी (डिप्थीरिया, टेटनस और एसेल्यूलर पर्टुसिस) वैक्सीन लगायी जाती है।
उपचार
काली खांसी के इलाज के लिए चिकित्सक एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन की सलाह देते हैं। वहीं स्थिति गम्भीर होने पर पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल में भी भर्ती कराया जा सकता है। हालांकि, यदि मरीज की सही तरीके से देखभाल की जाये, तो मरीज को अस्पताल ले जाने की नौबत नहीं आती है। इसलिए आप नीचे बतायी गयीं कुछ सावधानियों को बरत सकते हैं।
भरपूर आराम करें
काली खांसी के कारण मरीज को थकान और कमजोरी का एहसास हो सकता है। ऐसे में पीड़ित व्यक्ति को पर्याप्त आराम करना चाहिए। इसलिए अनावश्यक परिश्रम से बचना चाहिए।
खान-पान का रखें विशेष ध्यान
काली खांसी आने पर अपने खान-पान का ध्यान रखना जरूरी है। इस स्थिति में हल्का और सुपाच्य भोजन करना चाहिए। इस दौरान अधिक तला-भुना व मसालेदार खाने से बचना चाहिए। अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। वहीं, गर्म पेय का सेवन करें, क्योंकि यह खांसी से बचाव में सहायक होता है। आप ग्रीन टी, हल्दी वाला दूध और अदरक से बने काढ़े का सेवन कर सकते हैं।
साफ-सफाई का रखें खास ख्याल
काली खांसी के संक्रमण के फैलने की समाभावना को खत्म करने के लिए साफ-सफाई का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इससे मरीज के आसपास रहने वालों को भी यह अपनी चपेट में ले सकती है। इसलिए काली खांसी से पीड़ित व्यक्ति से मिलने के बाद अपने हाथों को अच्छे से धोना चाहिए।
दवाओं के इस्तेमाल में बरतें सावधानी
काली खांसी के संक्रमण से बचने के लिए सामान्य खांसी की दवा लेने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे मरीज की परेशानी बढ़ सकती है। काली खांसी की गम्भीर अवस्था होने पर मरीज को सांस लेने में समस्या हो सकती है। ऐसे में मरीज वेपोराइजर का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन, इसके अधिक इस्तेमाल से बचना चाहिए।