International news, global news, love story: लैला-मजनू, हीर-रांझा, शीरी-फरहाद आदि की प्रेम कहानियां आपने खूब पढ़ी होगी, सुनी होगी, बतौर फिल्म देखी भी होगी, परंतु हम आपको आज जिसकी प्रेम कहानी सुनाने जा रहे हैं, वह बेहद ही रोचक है। सामान्य तौर पर आज लोग प्रेम करते हैं और कुछ ही दिनों में जुदा हो जाते हैं, शादियां तक टूट जाती हैं, परंतु इस शख्स ने प्रेम की अद्भूत मिशाल पेश की। अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए साइकिल से ही कई देशों को लांघ डाला। आइये लगभग चार महीने की इस रोमांचक यात्रा से आपको भी अवगत कराएं…
महानंदिया को चार्लोट की खूबसूरती तो चालोर्ट को महानंदिया की सादगी भा गई
यह कहानी है भारत के आर्टिस्ट प्रद्युमन कुमार महानंदिया की। उनकी पत्नी स्वीडन की रहने वाली चार्लोट वॉन शेडविन हैं, जिनसे महानंदिया की मुलाकात साल 1975 में दिल्ली में हुई थी। दरअसल जब चार्लोट ने महानंदिया की कला के बारे में सुना तो यूरोप से भारत तक उनसे मिलने आ गईं। उन्होंने उनसे अपना एक पोर्टेट बनवाने का फैसला लिया। जब महानंदिया चार्लोट से मिले तब वे एक कलाकार के तौर पर अपनी पहचान बना रहे थे और दिल्ली के कॉलेज ऑफ आर्ट में पढ़ाई कर रहे थे। इस बीच चार्लोट का पोर्टेट बनाने के क्रम में एक-दूसरे को प्यार हो गया। महानंदिया को चार्लोट की खूबसूरती, जबकि चालोर्ट को महानंदिया की सादगी ने दिल जीत लिया। इस बीच जब चार्लोट को वापस स्वीडन जाने का वक्त आया तो दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। स्वीडन जाते वक्त चार्लोट ने महानंदिया से अपने साथ चलने को कहा। मगर महानंदिया को अपनी पढ़ाई पूरी करनी थी। तब चार्लोट ने उनसे वादा लिया कि वे स्वीडन में उनके घर आएंगे। इस बीच दोनों पत्र के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़े रहे।
सबकुछ बेच खरीदी साइिकल और चार महीने में पहुंच गए यूरोप
लगभग एक वर्ष बाद जब महानंदिया की पढ़ाई पूरी हुई और उन्होंने अपनी पत्नी से मिलने की योजना बनाई तो आर्थिक तंगी सामने आ गई। फ्लाइट का टिकट खरीदने के पैसे तक उनके पास नहीं थे। ऐसे में उनके पास जो कुछ भी था, उसे बेच दिया और एक साइिकल खरीदी। महानंदिया ने लगभग चार महीनों में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान और तुर्की को पार किया। रास्ते में कई बार उनकी साइकिल टूटी और कई दिनों तक बिना खाना खाए रहना पड़ा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। महानंदिया ने अपनी ये यात्रा 22 जनवरी, 1977 में शुरू की थी। हर दिन साइकिल से 70 किलोमीटर का सफर तय करते हुए 28 मई को इस्तांबुल और वियना होते हुए यूरोप पहुंचे और गोथेनबर्ग तक ट्रेन से गए। महानंदिया के अनुसार राह में उनकी कला ने उनका बचाव किया। कहा कि मैंने लोगों के पोर्टेट बनाए और कुछ ने मुझे पैसे दिये, जबकि कुछ ने खाना और रहने की जगह दी। यहां दोनों ने आधिकारिक रूप से शादी की। ये कपल अब स्वीडन में अपने दो बच्चों के साथ रहता है. पीके महानंदिया आज भी एक आर्टिस्ट के तौर पर काम करते हैं।