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सावधान ! कॉन्टैक्ट लेंस के इस्तेमाल से हो सकता है कॉर्नियल अल्सर !

सावधान ! कॉन्टैक्ट लेंस के इस्तेमाल से हो सकता है कॉर्नियल अल्सर !

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International news, contact lens, cornea ulcer, Global News, health problem, Britain news :   अपनी आंखों की सुन्दरता को बढ़ाने के लिए म‌हिलाएं कई तरह के लेंस का उपयोग करती हैं। ऐसा करना क्या आंखों के लिए कितना सुरक्षित है ? संदर्भ को लेकर ब्रिटेन से एक चौकानेवाली घटना सामने आयी है। ब्रिटिश की ए‌क 25 वर्षीय महिला हैं स्टीफ कैरास्को। इन्हें कॉन्टैक्ट लेंस का बड़ा शौक था। लेंस लगाने से उसकी आंखों में खुजली होनी शुरू हो गयी। शुरुआत में उन्होंने इस खुजली को मामूली समझ कर अनदेखा कर दिया। खुजली अधिक बढ़ने पर वह डॉक्टर के पास गयीं, जहां उसे पता चला कि वह एक गम्भीर जीवाणु संक्रमण की चपेट में हैं। इसके बाद धीरे-धीरे स्टीफ की दृ‌‌ष्टि जाने लगी। इलाज के दौरान स्टीफ ने अस्पताल में एक सप्ताह बिताया। स्टीफ को लेकर डॉक्टर ने बताया कि उनकी आंखों में कॉर्नियल अल्सर ‌हो गया है। अल्सर के आकार को कम करने के ‌लिए उन्हें प्रतिदिन 72 आई ड्राॅप लेना पड़ता था।

कैसे हुआ इलाज ?

प्रति दिन 72 आई ड्रॉप लेने के बावजूद, स्टीफ़ कैरास्को का कॉर्निया अल्सर ठीक नहीं हो रहा था, जिसके कारण चिकित्सा कर्मियों को कॉर्निया ट्रांसप्लांट करना पड़ा। तीन सप्ताह के बाद, उनकी दृष्टि में सुधार हुआ और अक्टूबर तक पूरी तरह से ठीक होने की उम्मीद है। डॉक्टरों के मुताबिक इसके बाद वह काम पर वापस लौट सकेंगी। अस्पताल में भर्ती होने के दौरान, उन्हें अस्पताल के कर्मचारियों से पता चला कि उनके संक्रमण की गम्भीरता इतनी खराब थी कि यदि समय पर इलाज नहीं किया जाता, तो उसकी आंखों की रोशनी जा सकती थी। स्टीफ ने कहा, “स्वास्थ्य सम्बन्धी चिंताओं को खारिज करना आसान है, लेकिन इसने मुझे सिखाया है कि मैं अपनी इस बीमारी को कभी भी हल्के में न लूं। मैं खुद को भाग्यशाली समझती हूं, क्योंकि जब मुझे जैक और अस्पताल की मेडिकल टीम की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब वह सभी मेरे साथ थे।”

क्या है कॉर्नियल अल्सर?

कॉर्नियल अल्सर को केराटाइटिस भी कहते हैं, जो आंखों के कॉर्निया में एक घाव की तरह होता है। कॉर्निया पुतली और आइरिस को ढकनेवाली आंख की सबसे बाहरी परत है। हमारी आंखें कैमरे की तरह काम करती हैं और कॉर्निया वह खिड़की है, जिससे होकर रोशनी आंख के अंदर गुजरती है। बता दें कि जो लोग कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं, उनमें इस बीमारी का खतरा अधिक होता है। लेंस को कभी भी रात को लगा कर नहीं सोना चाहिए। क्योंकि रात को यह जोखिम को दस गुना अधिक बढ़ा सकता है।

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