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Big question : लैंडर विक्रम से बाहर निकला रोवर प्रज्ञान?, क्या पृथ्वी पर लौटेगा Chandrayaan-3 ?

Big question : लैंडर विक्रम से बाहर निकला रोवर प्रज्ञान?, क्या पृथ्वी पर लौटेगा Chandrayaan-3 ?

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National news, ISRO mission chandrayan 3, chandrayan 3 update, Bengaluru news, technology, moon mission : अगले 13 दिन चंद्रयान-3 के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। चंद्रमा की सतह पर 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अब सबकी निगाह रोवर प्रज्ञान पर है। यह अब चांद की सतह पर चलहकदमी करेगा।  विक्रम लैंडर के अंदर मौजूद रोवर प्रज्ञान बाहर निकल चुका है। इससे संबंधित वीडियो इसरो ने ट्विटर पर जारी किया है। परिस्थितियों सामान्य होने के बाद यह अपने मिशन में लगेगा।

आइए आपको हम बताते हैं 14 दिन बाद क्या होगा?

चंद्रमा की सतह पर उतारने के बाद रोवर और लैंडर से जो जानकारी इसरो को मिलेगी, वह केवल 14 दिनों तक ही होगी, क्योंकि चांद को पूरी रोशनी सिर्फ इसी दौर में मिलेगी। लैंडर व रोवर इतने दिनों तक पूरी सक्रियता के साथ इसरो को अहम सूचनाएं भेजेगा। बताते चलें की 14 दिनों के बाद चांद पर रात हो जाएगी और यह रात पूरे 14 दिनों रहेगी। चंद्रमा पर रात होते ही यहां का पर बहुत ज्यादा गिर जाएगा। इस कारण वहां ठंड बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी। बताते हैं कि विक्रम और प्रज्ञान सिर्फ और सिर्फ धूप में ही काम कर सकते हैं, इसलिए वे 14 दिनों के बाद निष्क्रिय हो जाएंगे। वैसे इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा पर फिर से सूरज उगने पर विक्रम और प्रज्ञान के काम करने की संभावना से इनकार नहीं किया है। अगर दोनों 14 दिन बाद सही-सलामत काम करते हैं, तो यह भारत के चंद्र मिशन के लिए बहुत बड़ा फायदा होगा।

क्या धरती पर लौटेगा चंद्रयान-3?

वैसे आपको बता दें की चंद्रयान-3 पृथ्वी पर वापस नहीं लौटेगा। कुछ दिनों के बाद ऐसा हो सकता है कि चंद्रमा पर गए विक्रम और प्रज्ञान काम न करें, लेकिन ये चंद्रमा पर ही मौजूद रहेंगे।

चंद्रयान-3 का कितना है वजन

भारत के चंद्रयान-3 का कुल वजन 3,900 किलोग्राम है। प्रोपल्शन मॉड्यूल का वजन 2,148 किलोग्राम और लैंडर मॉड्यूल का वजन 1,752 किलोग्राम है,  जिसमें 26 किलोग्राम का रोवर भी शामिल है।

हमारा चंद्रयान- 3 चंद्रमा पर कहां उतरा?

इसरो पहले ही चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट का फोटो साझा कर चुका है। यह फोटो बुधवार की शाम 6.04 बजे हुई सटीक सॉफ्ट लैंडिंग के बाद विक्रम के कैमरे से लिया गया था। चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपेक्षाकृत समतल क्षेत्र पर उतरा। ऐसा होना बहुत अच्छा माना जा रहा है।

आगे अब क्या करेगा प्रज्ञान

रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की रासायनिक संरचना, मिट्टी व चट्टानों की बारीकी से जांच करेगा। यह ध्रुवीय क्षेत्र के पास चंद्रमा की सतह के आयनों व इलेक्ट्रॉनों के घनत्व और थर्मल गुणों को मापेगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस क्षेत्र पर पहले कभी कोई नहीं गया है। यह पहली बार है, जब किसी देश ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जाने का साहस जुटाया है।

चंद्रयान-3 के लिए अब अगले कुछ पड़ाव अहम हैं

रोवर बाहर आया

अब नजरें प्रज्ञान रोवर पर है, जो स्थितियां सामान्य होने के बाद चांद की सतह पर टहलेगा। चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल लैंडर के कम्प्लीट कॉन्फिगरेशन को बताता है। इसमें रोवर का वजन 26 किलोग्राम है। रोवर चंद्रयान-2 के विक्रम रोवर के अनुरूप ही है। प्रज्ञान रोवर बाहर आ गया है। जानकारों के अनुसार योजना के मुताबिक, सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर अपना काम करना शुरू कर देंगे। लैंडर के साथ ही चांद की सतह पर उतरने वाले रोवर अपने पहियों वाले उपकरण के साथ वहां की सतह की पूरी जानकारी इसरो को देना शुरू कर देगा। इन पहियों पर अशोक स्तंभर और इसरो के चिह्न उकेरे गए हैं, जो प्रज्ञान के आगे बढ़ने के साथ चांद की सतह पर अपने निशान छोड़ेंगे। इसी के साथ इसरो और अशोक स्तंभ के चिह्न चांद पर अंकित हो जाएंगे।

 14 दिन चांद की सतह से जानकारी इकट्ठा करेगा

वैज्ञानिकों के अनुसार सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर और लैंडर से जो जानकारी इसरो को मिलेगी, वह 14 दिनों तक ही होगी, क्योंकि चांद को रोशनी सिर्फ इसी दौरान मिलेगी। जानकारी का कहना है कि रोवर से मिलने वाली जानकारी बहुत ज्यादा अहम इसलिए है, क्योंकि वह चांद की सतह पर जाकर आगे बढ़ता रहता है।

इसरो को चांद से अहम जानकारी भेजेगा

वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले 14 दिनों के अंदर रोवर चांद पर अपने तय रास्ते को न केवल पूरा करेगा, बल्कि उसकी पूरी सूचनाएं भी इसरो के डाटा सेंटर को भेजेगा। रहेगा। लैंडर और रोवर 14 दिनों तक पूरी सक्रियता के साथ हमें सूचनाएं भेजेंगे। विपरीत परिस्थितियों के लिए तैयार किए जाने वाले लैंडर और रोवर के पावर बैकअप की क्षमता 14 दिनों तक का है। उसके बाद की सूचनाएं या तो मिलनी बंद हो जाएंगी अथवा उनकी स्पीड न के बराबर हो जाएगी। हालांकि अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि 14 दिनों के भीतर मिलने वाली सूचनाएं अंतरिक्ष में चांद पर की जाने वाली तमाम संभावनाओं की सबसे महत्वपूर्ण जानकारियां होंगी।

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