Foreign News, America, Chinese Balloon : अमेरिका में दिख रहे जासूसी बैलून को सेना ने मार गिराया। राष्ट्रपति जो बाइडेन के आदेश के बाद यह एक्शन लिया गया। सेना ने इस तरह प्लान बनाया था कि बैलून का मलबा समुद्र में गिरे, जिससे आम लोगों को नुकसान न हो। समुद्र से बैलून का मलबा निकालने का काम शुरू कर दिया गया है। 3 फरवरी को पेंटागन के ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने कहा था- हमें रिपोर्ट्स मिल रही हैं कि एक और बैलून लैटिन अमेरिका की तरफ से आ रहा है। हमारा अंदाजा है कि यह एक और जासूसी बैलून है, जो चीन का ही है। इसके बाद चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा था- चीन ने कभी किसी देश की सीमा या एयरस्पेस का उल्लंघन नहीं किया है। अमेरिका के कुछ नेता और मीडिया इस घटना की आड़ में चीन की छवि बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इस मामले को शांति से सुलझाया जाना चाहिए।
सेना का दावा- चीन ने जासूसी के लिए बैलून भेजे
बैलून को शुरू में 28 जनवरी को अमेरिकी एयरपोर्ट जोन में प्रवेश करते हुए देखा गया था। इसके बाद उसे मोटांना क्षेत्र में उड़ते पाया गया। यह अमेरिका का एक न्यूक्लियर मिसाइल क्षेत्र है। सेना को शक था कि बैलून जासूसी कर रहे हैं। यहां की जानकरियां चीन तक पहुंचा रहे हैं। इसी वजह से उन पर नजर रखी जा रही थी।
बैलून का साइज 3 बसों जितना
अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर नहीं बताया है कि चीन का बैलून कितना बड़ा है। हालांकि, इसका पता लगाने के लिए मिलिट्री ने अपने 2 F-22 फाइटर जेट उसके पास भेजे। जिसके बाद ABC न्यूज को एक अधिकारी ने बताया था कि यह बैलून तीन बसों जितना बड़ा है। वहीं पेंटागन के प्रवक्ता पैट राइडर ने कहा- बैलून सिविलियन एयर ट्रैफिक के ऊपर है इसलिए फिलहाल हमने बैलून को तबाह करने या इसे नीचे गिराने का फैसला नहीं लिया है।
यह बैलून कुछ दिनों तक अमेरिका के एयर स्पेस में ही रहेगा। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक जनरल राइडर ने कहा है कि इसकी लोकेशन की जानकारी आम लोगों के साथ शेयर नहीं की जाएगी। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि यह बैलून अभी अमेरिका के सेंटर में है और पूर्व की तरफ आगे बढ़ रहा है।