Foreign News, Russia, Ukraine, Children Wept To Meet Parents : भय और शोषण के माहौल से निकलने के बाद बच्चों की मन:स्थिति दया, करुणा और स्नेह की मांग करती है। युद्ध के दौरान यूक्रेन से अपहरण या डिपोर्ट कर रूस ले जाए गए कई बच्चे अपने परिवार के पास लौटे, तो उनकी स्थिति समझ कर माता-पिता का ह्रदय द्रवित हो उठा। एक लंबे ऑपरेशन के बाद यूक्रेन में 31 बच्चे अपने मां-बाप के पास पहुंचे। इन बच्चों को जंग के बीच रूस या रूस के कब्जे वाले क्रीमिया में डिपोर्ट कर दिया गया था। कीव पहुंचते ही मांओं ने अपने बच्चों को गले से लगा लिया। अपने माता-पिता के सीने से लिपट कर सभी बच्चे रोने लगे और अपनी स्थिति बयां की कि उन्हें किस भय के माहौल में रखा गया था।
समर कैंप के नाम पर भेजा गया था क्रीमिया
रेस्क्यू किए गए 31 बच्चों में शामिल 13 साल की एक लड़की दशा रक्क ने बताया- पिछले साल जंग शुरू होने के बाद मैं और मेरी बहन रूसी कब्जे वाले खेरसॉन को छोड़कर कुछ हफ्तों के लिए क्रीमिया में एक हॉली-डे कैंप चले गए। कुछ दिन तक वहां रहने के बीद एक दिन रूसी अधिकारियों ने कहा कि बच्चों को ज्यादा समय के लिए रोका जा रहा है। उन्होंने बताया कि हमें कुछ परिवार गोद लेंगे। हमें जैसे ही इसका पता चला तो हम सब रोने लगे और घर वापस भेजे जाने की गुहार लगाने लगे।
सेव यूक्रेन की बड़ी भूमिका
चार देशों की यात्रा करके यूक्रेन पहुंचे इन बच्चों को बचाने के पीछे NGO ग्रुप सेव यूक्रेन का हाथ है। पिछले एक साल में वो ऐसे 95 बच्चों को रेस्क्यू कर चुका है। महीनों बाद अपने घर लौटे बच्चे अपने माता-पिता से मिलते ही रोने लगे। इस दौरान परिवार वालों की आंखों में भी आंसू थे।