New Delhi news: कैंसर से जूझ रहे मरीजों और उनके परिजनों के लिए एक अच्छी खबर है। अब बिना कीमो दिए कैंसर का इलाज संभव है। पीजीआई, चंडीगढ़ के विशेषज्ञों ने पिछले 15 वर्षों से चले शोध के बाद यह कामयाबी हासिल की है। पीजीआई, चंडीगढ़ के हेमेटोलॉजी विभाग के विशेषज्ञों ने एक्यूट प्रोमाइलोसाइटिक ल्यूकेमिया के मरीजों को बिना कीमो दिए पूरी तरह से ठीक कर दिया है। दावा है कि पीजीआई की इस उपलब्धि से भारत विश्व में बिना कीमो थैरेपी के कैंसर का इलाज करने वाला पहला देश बन गया है। पीजीआई के इस शोध को ब्रिटिश जर्नल ऑफ हेमेटोलॉजी में प्रकाशित किया गया है।
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कीमो की जगह विटामिन ए व आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड
पीजीआई के हेमेटोलॉजी विभाग के मुताबिक इस मर्ज में मरीज की स्थिति तेजी से बिगड़ती है। अगर मरीज ने दो हफ्ते तक खुद को संभाल लिया तो उस पर इलाज का सकारात्मक प्रभाव तेजी से सामने आने लगता है, लेकिन उन दो हफ्तों तक जिंदा रहना बेहद कठिन होता है। विश्व में अब तक कैंसर के मरीजों का इलाज कीमो से ही हो रहा है लेकिन पीजीआई ने पहली बार कीमो के बजाय मरीजों को दवाओं की खुराक दी। इसमें विटामिन ए और आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड शामिल किया।
15 वर्षों तक चले शोध में 250 मरीजों पर हुआ प्रयोग
15 वर्षों तक संस्थान में चले इस शोध में 250 मरीजों को शामिल किया गया। उन मरीजों को कीमो की जगह विटामिन ए और आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड दिया गया। गंभीर मरीजों को दो साल तक और कम गंभीर मरीजों को चार महीने तक दवा दी गई और लगातार फॉलोअप के साथ टेस्ट किए गए। सभी 250 मरीजों की जब कीमो वाले मरीजों की स्थिति से तुलना की गई तो परिणाम काफी बेहतर मिला। कीमो की तुलना में शोध में शामिल मरीजों पर इलाज की सफलता दर 90 प्रतिशत रही। जो मरीज दो हफ्ते के दौरान सर्वाइव नहीं कर पाए उनका ही परिणाम नकारात्मक रहा। 90 प्रतिशत मरीज पूरी तरह ठीक हैं और सामान्य जीवन जी रहे हैं।
कैंसर सेल बनाने की स्थिति को ही समाप्त कर देती है यह पद्धति
कीमो जहां कैंसर कोशिकाओं को समाप्त करता है, वहीं इसका दुष्प्रभाव अन्य अंगों पर भी पड़ता है जबकि विटामिन ए और आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड की डोज कैंसर सेल बनाने की स्थिति को ही पूरी तरह समाप्त कर देता है। यह कैंसर उत्पन्न करने वाले ट्रांस लोकेशन पर वार करता है। जिससे अन्य किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं होता और संक्रमण का प्रारंभ ही रुक जाता है। यह कैंसर क्रोमोसोम के आपस में स्थान बदलने से कुछ केमिकल के ओवर एक्टिव होने से शुरू होता है। विटामिन ए और आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड क्रोमोसोम के बदलाव से बनने वाले केमिकल को ही रोक देते हैं।