Tea worth Rs 8 crore per kg, International news, national news, global News : चाहे वह अमीर हो, गरीब हो। चाय के दीवाने हर एक प्याली चाय के लिए मौका ढूंढ ही लेते हैं। तबीयत खराब हो तो चाय, सर्दी से बचनी हो तो चाय, थकान मिटानी हो तो चाय, मेहमाननवाजी करनी हो तो चाय…, यानी हर अवसर पर इसकी उपयोगिता सदियों से बनी हुई है। दुनिया में सैकड़ों तरह की चाय है तो इसे बनाने के हजार तरीके भी हैं। अगर इस बीच कोई आपसे कहे कि क्या आपने आठ करोड़ रुपए किलो वाली चाय पी है तो आप निश्चित तौर पर चौक उठेंगे, परंतु यह है सच। आइये आज हम आपको चाय की दुनिया से साक्षात्कार कराते हैं।
… तो अंग्रेजों की देन है चाय, यहां 20 हजार से ज्यादा तरीकों से बनती है चाय
दरअसल,1834 में जब गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक भारत आए तो उन्होंने असम में कुछ लोगों को चाय की पत्तियों को उबालकर दवा की तरह पीते देखा। इसके बाद बैंटिक ने असम के लोगों को चाय की जानकारी दी और उसे बनाने के तरीके बताए। महत्वपूर्ण बात यह कि दुनिया भर में 20 हजार से ज्यादा तरीकों की चाय तैयार होती हैं। बबल टी, शामोमिल टी, ग्रीन टी, ऊलांग टी, आइस टी, स्वीट टी, हर्बल टी आदि इन्हीं में से कुछ हैं।
कर लो बात सोने से भी महंगी चाय ‘दा-होंग पाओ की, सबसे अधिक बिकती है लिप्टन चाय
दुनिया की सबसे महंगी चाय का नाम ‘दा-होंग पाओ’ है। इस चाय के एक किलो की कीमत करीब आठ करोड़ रुपये है। इसे विशेष तरीके से तैयार किया जाता है। इस चाय की पत्तियां चीन के फुजीयान में वुई पर्वतों से लाई जाती हैं। दुनिया भर में तमाम चाय के ब्रांड्स है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाला चाय का ब्रांड कौन सा है। दरअसल लिप्टन टी दुनिया का बेस्ट सेलिंग ब्रांड है। लिप्टन की बोतलबंद चाय दुनिया के सौ से ज्यादा देशों में उपलब्ध है।
… तो यूं हुई चाय की उत्पत्ति, 5000 वर्ष पुराना इतिहास
दरअसल, चाय का इतिहास चीन से जुड़ा है, जहां पर 2732 बीसी में एक राजा के उबलते पानी में कुछ जंगली पत्तियां गिर गई थीं, जिसमें से एक अलग तरह की महक आ रही थी। साथ ही पानी का रंग भी बदल गया था। इसके बाद राजा ने उसको पीकर देखा। उस पानी को पीने के बाद उनको ताजगी महसूस हुई। इस तरह से चाय की उत्पत्ती हुई।