पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है। इस बीच पाकिस्तान के नागरिकों के लिए शहबाज शरीफ सरकार का पहला बजट मुसीबत बन कर आया है। सरकार के नए नियम के अनुसार पाकिस्तान में कर्मचारी नयी कार नहीं खरीद सकेंगे। साथ ही पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा का भी जबर्दस्त संकट सामने आया है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने कहा है कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 10 अरब डॉलर से कम रह गया है। इससे केवल 45 दिनों के आयात का भुगतान किया जा सकता है। ऐसे में देश की 22 करोड़ आबादी के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। इस संकट से निपटने के लिए सरकार कड़े कदम उठा रही है।
अमीरों पर टैक्स बढ़ाया जाएगा
वित्त मंत्री के मुताबिक देश को इस स्थिति से निकालने के लिए अमीरों पर टैक्स बढ़ाया जाएगा, कारों के आयात पर प्रतिबंध लगाया जाएगा और सरकारी कर्मचारी नई कार नहीं खरीदेंगे। इस्माइल ने कहा कि सरकार टैक्स चोरी पर रोक लगाकर अगले वित्तीय वर्ष में सात लाख करोड़ रुपये राजस्व की वृद्धि करेगी। इस समय सकल घरेलू आय का 8.6 प्रतिशत राजकोषीय घाटा हो रहा है, वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए इसे घटाकर 4.9 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही सरकार ने निजीकरण से 96 अरब रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।
इमरान सरकार को दोषी ठहराया है
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इन स्थितियों के लिए पिछली इमरान खान सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि वर्षों के आर्थिक कुप्रबंधन को सुधारने के लिए उनकी सरकार अब कड़े फैसले लेने को तैयार है। मैं फैसले से देश की स्थिति सुधरेगी। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान की इमरान सरकार में इन बातों को गौर किया होता दो पाकिस्तान को यह दिन नहीं देखने पड़ते।