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ब्रिटेन में खालिस्तानी की भारत विरोधी गतिविधियां बर्दाश्त नहीं की जाएंगी : बोरिस जानसन

ब्रिटेन में खालिस्तानी की भारत विरोधी गतिविधियां बर्दाश्त नहीं की जाएंगी : बोरिस जानसन

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ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन ने भारत को आश्वस्त किया है कि वह अपनी भूमि पर खालिस्तानी ताकतों की भारत विरोधी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जानसन से बातचीत के दौरान ब्रिटेन में खालिस्तानी तत्वों की गतिविधियों और भारत के आर्थिक भगोड़ों के वहां पनाह लेने का मामला उठाया था।

भारत की चिंताओं को लेकर ब्रिटेन संवेदनशील

भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने दोनों प्रधानमंत्रियों की बातचीत के बारे में प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि जानसन ने प्रधानमंत्री मोदी को बताया कि उनका देश खालिस्तानी तत्वों की गतिविधियों के संबंध में भारत की चिंताओं के प्रति संवेदनशील है। इस संबंध में ब्रिटेन जीरो टॉलरेंस (कत्तई बर्दाश्त न करने) की नीति अपनाता है। ब्रिटेन की धरती पर किसी ऐसी गतिविधि की अनुमति नहीं दी जाएगी, जिससे भारत और ब्रिटेन के द्विपक्षीय संबंधों पर कोई असर पड़े।

ब्रिटेन में पनाह लेने वाले आर्थिक अपराधियों को भारत भेजा जाए

विदेश सचिव ने कहा कि बातचीत के दौरान इस बात पर चर्चा हुई कि किस तरह कुछ अवांछनीय लोग लोकतांत्रिक प्रणाली से हासिल होने वाली आजादी और अधिकारों का दुरुपयोग करते हैं। विदेश सचिव ने कहा कि भारत यह भी चाहता है कि ब्रिटेन में पनाह लेने वाले आर्थिक अपराधियों को जल्द से जल्द भारत भेजा जाए जाकि वे यहां न्यायिक प्रक्रिया का सामना कर सकें।

ब्रिटेन पर भारत ने कोई दबाव नहीं डाला

यूक्रेन के घटनाक्रम और रूस पर पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंधों के बारे में विदेश सचिव ने कहा कि ब्रिटेन की ओर से भारत पर कोई दबाव नहीं डाला गया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने यूक्रेन के घटनाक्रम के बारे में अपना-अपना पक्ष रखा। प्रधानमंत्री मोदी ने जानसन को बताया कि भारत शांति के पक्ष में है। भारत यूक्रेन में युद्ध विराम तथा दोनों देशों के नेताओं के बीच सीधी बातचीत का हिमायती है। भारत का मानना है कि इस समस्या का एकमान्य हल बातचीत और कूटनीति के जरिए ही संभव है। उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन में सक्रिय पृथकतावादियों ने खालिस्तान के समर्थन में ब्रिटेन के कई नगरों में तथाकथित जनमत संग्रह का आयोजन किया था। खालिस्तानी तत्वों ने पृथकतावादी कश्मीरी संगठनों के साथ मिलकर भारतीय उच्चायोग के समक्ष विरोध प्रदर्शन भी आयोजित किए थे।

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