जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए भारत सरकार द्वारा कराए गए परिसीमन से पाकिस्तान तिलमिला गया है, उसे मोदी सरकार के परिसीमन से मिर्ची लग रही है। जाहिर सी बात है कि पाकिस्तान की कमजोर नस को मोदी सरकार ने पकड़ लिया है। इसी कारण पाकिस्तान परेशान हो रहा है।
देश हमारा और आपत्ति तुम्हारी
गत दिनों पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारत के प्रभारी राजदूत को तलब कर परिसीमन पर आपत्ति जताई है। पाकिस्तान ने कश्मीर पर भारतीय परिसीमन आयोग की रिपोर्ट को खारिज किये जाने की बात भी कही है। भारत ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर विधानसभा और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए नए सिरे क्षेत्रवार परिसीमन का प्रस्ताव किया है। इसके बाद जम्मू-कश्मीर में जल्द ही विधानसभा चुनाव की उम्मीद भी जगी है। ऐसे में पाकिस्तान इस फैसले से तिलमिला उठा है। पाकिस्तान ने भारत के प्रभारी राजदूत को तलब कर न सिर्फ इस फैसले पर आपत्ति जताई बल्कि यहां तक कह डाला कि इस परिसीमन का मकसद कश्मीरी मुस्लिमों को नागरिकता से वंचित करना है।
परिसीमन को पाकिस्तान ने हास्यास्पद बताया
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने भारतीय पक्ष के सामने परिसीमन की इस पूरी प्रक्रिया को हास्यास्पद करार दिया। पाकिस्तान की ओर से कहा गया कि परिसीमन के इन प्रयासों के जरिए भारत 5 अगस्त 2019 को उठाए गए अपने कदम को सिर्फ वैध आधार देना चाहता है। उस समय भारत ने कश्मीर में धारा 370 के ज्यादातर प्रावधान खत्म कर दिए थे। अब परिसीमन को उसी कदम से जोड़ते हुए पाकिस्तान ने कहा है कि नई प्रक्रिया के पीछे भारत की गुप्त योजना छिपी हुई है। आरोप लगाया गया कि भारत ने परिसीमन के नाम पर विधानसभा क्षेत्रों को ऐसे डिजाइन किया है कि मुस्लिमों की बढ़त कम की जा सके।