पाकिस्तानी अर्धसैनिक बलों ने जुलाई महीने में बलूचिस्तान में 48 लोगों की हत्या की। इस मामले को लेकर बलूचिस्तान मानवाधिकार परिषद ने कहा है कि जुलाई माह के दौरान 45 लोग लापता हैं। परिषद ने अपनी रिपोर्ट में कहा ह कि ‘बलूचिस्तान में सुनियोजित साजिश से लोगों की हत्या करने और गायब करने की वारदात हो रही हैं। यह आम लोगों के खिलाफ सरकारी तंत्र का बड़ा उल्लंघन है। ये अपराध बड़े पैमाने पर पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और उससे जुड़ी मिलीशिया द्वारा किए जाते हैं, जिन्हें स्थानीय स्तर पर मौत दस्ते के रूप में जाना जाता है।
बलूचिस्तान यह लोगों में पैदा हो चुका है आतंक
ये समूह बलूचिस्तान में लोगों के मन में भय और आतंक पैदा करने के लिए अक्सर सुनियोजित तरीके से काम करते हैं। स्थानीय लोगों को जुलाई में तब बड़ा झटका लगा था जब पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने फर्जी मुठभेड़ में 11 लोगों का संहार कर दिया। इन लोगों को सुरक्षा बलों ने बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) का आतंकी घोषित कर दिया। मानवाधिकार समूह के अनुसार, बलों ने दावा किया ये लोग कर्नल लाइक मिर्जा बेग के अपहरण और उनकी हत्या में शामिल थे। हालांकि इसे साबित करने का उनके पास कोई प्रमाण नहीं है।
सुरक्षा बलों ने फर्जी मुठभेड़ में लोगों की हत्या कर दी
पाकिस्तानी सुरक्षा बलों से संबद्ध कई ऐसी संस्थाएं हैं जो बलूचिस्तान में लोगों के बीच भय पैदा करती हैं और अंधाधुंध तरीके से नियोजित रणनीति के रूप में काम करती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई में ही पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने एक फर्जी मुठभेड़ में 11 लोगों की हत्या कर दी। उन्हें बलूच लिबरेशन आर्मी के आतंकवादी के रूप में प्रचारित किया गया।
सेना ने लगा दिए कई फर्जी आरोप
इन मुठभेड़ के बारे में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने दावा किया कि वे लेफ्टिनेंट कर्नल लाइक मिर्जा बेग के अपहरण और हत्या में शामिल थे। इस पर बलूच परिषद का कहना है कि इन आरोपों को साबित करने के लिए अभी तक कोई सबूत नहीं है। पीड़ितों के परिवारों ने भी इस बात से इंकार किया था। इसके अलावा अन्य कई ऐसे लोग हैं जो लापता हैं और उनकी जानकारी उनके परिजनों को भी नहीं है।