Nanak Shahi calendar : जाने-माने सिख विद्वान, महान इंजीनियर और नानकशाही कैलेंडर बनाने वाले पाल सिंह पुरेवाल ने गुरुवार की देर रात अंतिम सांसे लीं। 90 बसंत देख चुके पाल सिंह पुरेवाल कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उन्होंने कनाडा के एडमिंटन में अंतिम सांस ली। पुरेवाल का सिख इतिहास के लिए बड़ा योगदान नानकशाही कैलेंडर है। बताते चलें कि पुरेवाल ने नानकशाही कैलेंडर बनाने के अलावा इस्लामिक कैलेंडर का भी निर्माण किया था। पाकिस्तान में इस कैलेंडर को सिया और सुन्नी दोनों समुदाय स्वीकार करता है।
इसलिए पुरेवाल ने बनाया नानकशाही कैलेंडर
बताते चलें कि पुराने बिक्रमी कैलेंडर में कई पर्व वर्षभर में दो -दो बार आते थे। और कई पर्व सालभर में एक बार भी नहीं आते थे। इसके कारण पुरेवाल ने नानकशाही कैलेंडर की रचना शुरू की। नानकशाही कैलेंडर तैयार करने के लिए उन्होंने करीब 15 वर्षों तक लगातार काम किया। मूल नानकशाही कैलेंडर तैयार करने के लिए उन्होंने कई कैलेंडरों का विस्तार से विश्लेषण किया। पुरेवाल के नानकशाही कैलेंडर की तिथियों के आधार पर दुनिया भर में गुरुपर्व शुरू किए गए। उन्होंने पाकिस्तान के लिए एक इस्लामी कैलेंडर भी तैयार किया था, जिसे शिया और सुन्नी दोनों ने स्वीकार किया। उनके सम्मान में पाकिस्तान में दयाल सिंह कालेज के पुस्तकालय का उनके नाम पर रखा गया।
1960 के दशक में कैलेंडर की प्रामाणिकता स्थापित की
पाल सिंह पुरेवाल ने 1965 में यूनाइटेड किंगडम में प्रवास किया और टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स में बतौर वरिष्ठ इंजीनियर के रूप में काम किया। वह 1974 में कनाडा चले गए। उन्होंने 1960 के दशक से सिख कैलेंडर की प्रामाणिकता स्थापित करने वाले विभिन्न शोध पत्र भी लिखे। पुरेवाल द्वारा बनाए गए कैलेंडर को SGPC ने भी अपनाया और उसे कार्यान्वित किया, जिसे सिख धर्म की विशिष्ट पहचान के प्रतीक के रूप में जाना जाता था।