Russia और Ukraine के बीच चौथे दिन भी 27 फरवरी को भीषण जंग चलती रही दोनों तरफ से अलग-अलग दावे किए जाते रहे। इंटरनेशनल मीडिया में इसी बीच यह राहत भरी खबर आई कि यूक्रेन सरकार ने रूस के साथ उसके समर्थक देश बेलारूस की सीमा पर बातचीतका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है।
पहले जेलेंस्की ने किया था इनकार
इससे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेवेंस्की ने रूस से बातचीत से इनकार कर दिया था। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर उस देश में वार्ता कैसे हो सकती है, जहां से उन पर हमला किया गया हो। बेलारूस (Belarus) भी यूक्रेन की तरह रूस का पड़ोसी देश है और वो लगातार रूस का समर्थन करता रहा है। पश्चिमी देशों ने रूस के साथ हमले में समर्थन देने वाले बेलारूस पर भी प्रतिबंध लगाए हैं।
इसके बाद पुतिन ने चेताया था
गौरतलब है कि यूक्रेन पहले तुर्की, पोलैंड समेत कई अन्य देशों में वार्ता का विकल्प पेश कर रहा था इस पर रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने चेताया भी था कि यूक्रेन वार्ता की संभावनाओं को खत्म करने का प्रयास कर रहा है। पुतिन ने कथित तौर पर अपनी परमाणु हथियारों के संचालन से जुड़ी सैन्य टुकड़ी को भी अलर्ट पर रहने को कहा है।
इस कारण रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को देना पड़ा बातचीत का प्रस्ताव
रूस ने बातचीत का यह न्योता ऐसे वक्त दिया है, जब अमेरिका और पश्चिमी देशों ने उस पर आर्थिक प्रतिबंध तो थोपे ही हैं। साथ ही यूक्रेन को सैन्य मदद देने का निर्णय़ भी लिया है। जर्मनी ने यूक्रेन को 1000 एंटी टैंक हथियार औऱ 500 स्टिंगर मिसाइलें देने का निर्णय़ किया है। अमेरिका पहले ही यूक्रेनी सेना के लिए 35 करोड़ डॉलर की सैन्य मदद का ऐलान कर चुका है। पश्चिमी देशों ने रूस को अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग लेनदेन के लिए जरूरी वित्तीय सिस्टम स्विफ्ट से भी बाहर कर दिया है। इसका बुरा असर उसकी अर्थव्यवस्था पर आने वाले समय में देखने को मिल सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए और उसी राष्ट्रपति पुतिन ने बातचीत का प्रस्ताव दिया है।