Global News, Kahira News, international news, Sanatan Dharm : धरती कहीं की हो, वह है रत्नगर्भा। कहीं प्राकृतक रूप से खनिज संपदाओं से परिपूर्ण है अपनी धरती तो कहीं वन संपदा से। इससे इतर हजारों हजार वर्ष पुरानी हमारी सभ्यता जो दुनिया के विभिन्न देशों में जमींदोज हैं, उसकी खोदाई में उसके अवशेष विभिन्न स्वरूपों में मिला करते हैं। इसी कड़ी में हाल ही में मिस्र में पुरातत्ववेत्ताओं को एक ऐसा खजाना हाथ लगा है, जिसे देख उनकी आंखें चौंधियां गईं। यहां मौजूद सोने, चांदी, हीरे, जवाहरात की कीमत कई अरब डॉलर में बताई जा रही है। यूरोपियन इंस्टीट्यूट फॉर अंडरवाटर आर्कियोलॉजी (आईईएएसएम) ने अधिकृत तौर पर इस खजाने के बारे में ऐलान किया है। उसने घोषणा की है कि मिस्र के भूमध्यसागरीय तट पर डूबे हुए एक मंदिर की जगह पर खजाने का खुलासा हुआ है। फ्रांस के पुरातत्वविद् फ्रेंक गोडियो की अगुवाई में पानी के नीचे रिसर्चर्स की टीम ने अबूकिर की खाड़ी में बंदरगाह शहर थोनिस-हेराक्लिओन में भगवान अमुन के मंदिर की जगह पर खोज की है। गोडियो को समुद्र के नीचे खोज करने में महारत हासिल है।
ईसा पूर्व दूसरी सदी के मध्य भयानक घटना के दौरान ढह गया था यह खास स्थल
बताया गया है कि टीम ने शहर की दक्षिणी नहर की जांच की थी। यहां पर प्राचीन मंदिर के पत्थर के विशाल खंड मौजूद थे। मंदिर ईसा पूर्व दूसरी सदी के मध्य भयानक घटना के दौरान ढह गया था। कहा गया है कि भगवान अमून का मंदिर वही जगह थी जहां फिरौन, मिस्र के प्राचीन देवताओं के सर्वोच्च देवता से उच्चतम राजा के तौर पर अपनी शक्ति को हासिल करने के लिए आते थे। आईईएएसएम ने कहा है कि मंदिर के खजाने से जुड़ी बहुमूल्य वस्तुओं का पता लगाया गया है। इसमें चांदी के पूजा करने वाले उपकरण, सोने के गहने और इत्र या सुगंध के लिए नाजुक अलबास्टर कंटेनर शामिल है। संगठन की तरफ से इसे मंदिर की संपत्ति और बंदरगाह शहर के पूर्व निवासियों की धर्मपरायणता का गवाह बताया जा रहा है। गोडियो की टीम और मिस्र के पर्यटन और पुरावशेष मंत्रालय के अंडरवाटर पुरातत्व विभाग द्वारा मिलकर की गई इस पुरातात्विक खुदाई में भूमिगत खुदाई का पता चला। संस्थान ने बताया है कि जो भी सामान मिला है है वह पांचवी शताब्दी ईसा पूर्व की उस लकड़ी से बना है जिसे काफी अच्छी तरह से संरक्षित करके रखा गया था।
टेक्नोलॉजी ऐसी कि कई मीटर मोटी मिट्टी की परतों के नीचे दबी हुई वस्तुओं का लग जाता है पता
संगठन की तरफ से कहा गया है कि ये खोज नई टेक्नोलॉजी की वजह से संभव हुईं है। इस टेक्नोलॉजी की मदद से कई मीटर मोटी मिट्टी की परतों के नीचे दबी हुई गुफाओं और वस्तुओं का पता लगाया जा सकता है। अमुन मंदिर के पूर्व में एफ्रोडाइट को समर्पित एक ग्रीक मंदिर भी मिला है जिसमें कांसे और चीनी मिट्टी की वस्तुएं थीं। बताया जा रहा है कि इससे पता चलता है कि सैटे राजवंश (664 – 525 ईसा पूर्व) के फिरौन के समय में जिन नागरिकों को व्यापार करने और शहर में बसने की इजाजत थी, उनके पास अपने देवताओं के लिए मंदिर थे।