Human rights (मानवाधिकार) पर एक देश दूसरे देश को खुलकर उपदेश देना पसंद करता है, लेकिन अपने ही देश में उसकी हकीकत पर चुप्पी साध लेता है। हर देश के लिए ही नहीं हर व्यक्ति के लिए मानवाधिकार का प्रश्न महत्वपूर्ण है, पर हर देश को दूसरे देश के साथ अपने देश और हर व्यक्ति को अपने अलावा दूसरे व्यक्ति के मानवाधिकार पर भी गौर करना चाहिए। गौरतलब है कि 2 दिन पहले अमेरिका ने भारत में मानवाधिकार के उल्लंघन पर नजर रखने की बात कही थी। चिंताजनक बात थी कि अमेरिका के विदेश मंत्री ब्लिंकन ने यह बात भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर के सामने कही थी अमेरिकी विदेश मंत्री की उस टिप्पणी पर 13 अप्रैल को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने करारा पलटवार किया।
साफ शब्दों में कहा कि दिल्ली भी आपके यहां मानवाधिकार उल्लंघन की चिंता करती है।
भारत के बारे में विचार रखने का अधिकार
विदेश मंत्री जयशंकर ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि लोग भारत के बारे में विचार रखने के हकदार हैं। उन्होंने कहा, “हम भी अमेरिका सहित अन्य लोगों के मानवाधिकारों की स्थिति पर अपने विचार रखते हैं।” भारत में मानवाधिकारों की अमेरिकी आलोचना का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि लोगों को भारत के बारे में विचार रखने का अधिकार है। विदेश मंत्री ने कहा कि इस सप्ताह भारत-अमेरिका 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान मानवाधिकार का मुद्दा चर्चा का विषय नहीं था। हालांकि, विदेश मंत्री जयशंकर ने जोर देकर कहा कि जब भी कोई चर्चा होगी, नयी दिल्ली बोलने में संकोच नहीं करेगी।
लॉबी और वोट बैंक की कही बात
जयशंकर ने कहा कि लॉबी और वोट बैंक इस तरह की आलोचना करते हैं। जयशंकर ने कहा, ‘लोगों को हमारे बारे में विचार रखने का अधिकार है। लेकिन, हम भी उनके नजरिये और हितों के बारे में समान रूप से विचार रखने के हकदार हैं जिन्हें लॉबी और वोट बैंक से हवा मिलती है।’