Super Moon seen in the world : भगवान कृष्ण बचपन में जसोदा मैया से ‘चंद्र खिलौना’ लेने की जिद करते हैं। हमारे यहां सब बच्चे भी ऐसा करते हैं। हम अपने ही बचपन को याद कर लें तो चंदा मामा के प्रति हमारी उत्सुकता का स्मरण हो आएगा। कहने का तात्पर्य यह है कि भौगोलिक और वैज्ञानिक दृष्टि से चंद्रमा धरती से बहुत दूर है, पर यह दूरी उत्सुकता की दृष्टि से बहुत कम है। रह-रहकर प्राकृतिक घटनाएं ऐसी होती रहती हैं कि उसमें विज्ञान ही नहीं, मानव का मन भी रम जाता है। ऐसा ही कुछ 13 जुलाई की रात को हुआ। चंदा मामा की चमक सामान्य से कुछ ज्यादा नजर आई और ऐसा लगा कि धीरे-धीरे वे धरती के बहुत करीब आ गए। इस साल का पहला सुपर मून 15% ज्यादा चमकीला दिखा, तो इसका आकार भी सामान्य से 7% बढ़ा हुआ था।
पृथ्वी और चंद्रमा की दूरी का सच
वैज्ञानिक दृष्टि से सुपरमून तब होता है, जब पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी सबसे कम हो जाती है। इस वजह से चांद ज्यादा बड़ा और चमकीला दिखाई देता है। ऐसा ही संयोग पिछले महीने भी बना था, जब पूर्णिमा के दिन चांद का रंग पूरी तरह लाल हो गया था। देश की बात करें तो दिल्ली, हरियाणा, बिहार और अजमेर में चंद्रमा अपनी पूरी सफेदी के साथ नजर आया। दुनिया के तमाम बड़े शहरों में भी इसकी चमक और आकार सामान्य से ज्यादा दिखा।
अगले तीन दिन दिखेगा फुल मून
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक अगले तीन दिन भी चांद धरती के करीब ही देखा जाएगा। इसे फुल मून कहा जा सकता है, लेकिन यह असल में पूर्णिमा नहीं होगी। सिर्फ चांद के आकार की वजह से ही यह फुल मून प्रतीत होगा। सुपरमून दिखाई देने की अगली घटना अगले साल 3 जुलाई को होगी। सुपरमून और पूर्णिमा का एक साथ होना दुर्लभ है, इसलिए आज सुपरमून देखने से आपको चूकना नहीं चाहिए।