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क्रोकोडाइल से बचने के लिए किसान ने उसी पर कर दिया हमला और दातों से काट ली उसकी आंख !

क्रोकोडाइल से बचने के लिए किसान ने उसी पर कर दिया हमला और दातों से काट ली उसकी आंख !

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To escape from the crocodile, the farmer attacked it and cut off its eye, Australia news, amazing news, international news, Global News, : मगरमच्छ द्वारा इंसान पर हमले किये जाने की खबरें अक्सर सुनने या पढ़ने को मिलती रहती हैं। लेकिन ऑस्ट्रेलिया में एक बेहद हैरान करनेवाला मामला सामने आया है। ऑस्ट्रेलिया में मगरमच्छ के हमले से बचने के लिए एक किसान ने मगरमच्छ पर ही हमला कर दिया। ऐसा करने से मगरमच्छ के चंगुल से व्यक्ति बच गया, लेकिन अभी भी मामला सुर्खियों में बना हुआ है। आइए, जानते हैं क्यों…?

मगरमच्छ की आंख को अपने दांतों से काट डाला

दरअसल, एक किसान है, जो ऑस्ट्रेलिया में रहता है। उसने मगरमच्छ के हमले से बचने के लिए मगरमच्छ की आंख पर काट ली। इस घटना की जानकारी खुद किसान ने ही शेयर की है। बीबीसी की रिपोर्ट की मानें, तो यह घटना बीते वर्ष के सितम्बर की है। वहां पशुपालन करनेवाले कॉलिंग डेवरॉक्स फिनिस नदी के पास बाड़ लगाने के लिए जा रहे थे। इस दौरान वह झील के किनारे तैरतीं मछलियों को देखने लगे। इसी बीच एक मगरमच्छ ने उन पर हमला कर उनका दाहिना पैर जकड़ लिया। मगरमच्छ के कब्जे में आने के बाद उन्होंने बचने की कोशिश की और अपने दूसरे पैर से मगरमच्छ को लात मारने शुरू किये। लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने अपने दांतों से मगरमच्छ की आंख को काटा और खुद को बचाया।

किसान ने कहा-भाग्यशाली हूं कि जिंदा हूं

किसान का कहना है कि वह भाग्यशाली थे और 3.2 मीटर खारे-पानी में मगरमच्छ द्वारा काटे जाने के बाद भी जिंदा रहे। मगरमच्छ लगातार उन्हें पानी में खिंचने की कोशिश करता रहा। कॉलिंग के लिए वह स्थिति बेहद कठिन थी। इसी बीच खुद को बचाने के लिए किसान ने मगरमच्छ की आंख पर काट लिया। किसान कॉलिंग का कहना है कि उसकी पलकें काफी मोटी थीं। मगर, काटने के बाद उसकी पकड़ ढीली पड़ी और मैं भाग निकला। मगरमच्छ ने भी चार मीटर तक मेरा पीछा किया। मगर, वह दोबारा मुझे नहीं पकड़ सका। मगरमच्छ के हमले में मेरा पैर चोटिल हुआ था और लहुलूहान था। खुद से प्राथमिक उपचार करने के बाद वह 130 किलोमीटर दूर अस्पताल गये और अपना इलाज कराया। मगरमच्छ द्वारा जकड़े जाने के बाद उनके पैर में घाव हो गये थे। लगभग तीन से चार महीने तक लगातार उनका इलाज चला, तब वह ठीक हुए।

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