लगभग एक महीने से यूक्रेन पर रूस के हमले जारी हैं। लेकिन दोनों देशों के बीच जारी युद्ध से अभी तक रूस को कोई बड़ा फायदा नहीं हुआ है। इतना जरूर है कि रूस ने यूक्रेन को पूरी तरह से बर्बाद जरूर कर दिया है, लेकिन यूक्रेन भी मुकाबले में डटा हुआ है। इधर युद्ध के कारण रूस की अर्थव्यवस्था में लगातार कमजोर हो रही है। इससे रूस और आक्रामक हो गया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा अपने परमाणु बलों को विशेष अलर्ट पर रखने के कुछ घंटों बाद ही रूस ने अपनी न्यूक्लियर पनडुब्बियों को समुंद्र में उतार दिया हैं। इससे परमाणु युद्ध की आशंका बढ़ गई है।
एक बार में 16 बैलिस्टिक मिसाइलें ले जा सकती हैं ये रूसी पनडुब्बियां
बताते चलें कि रूसी न्यूक्लियर पनडुब्बियां एक साथ 16 बैलिस्टिक मिसाइल को अपने साथ ले जाने में सक्षम है। इन पनडुब्बियों को उत्तरी अटलांटिक महासागर में उतारा गया है। रूस के इस कदम को लेकर एक्सपर्ट्स का मानना है कि क्रेमलिन अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए किसी भी हद तक जाता दिख रहा है। रूस पर नजर रख रहे विशेषज्ञों का कहना है कि पुतिन आक्रामक रणनीति के लिए न्यूक्लियर धमकियां देते रहे हैं। ऐसा उन्होंने 2014 के क्रीमिया युद्ध के दौरान भी किया था।
रूस में न्यूक्लियर हथियारों को अलर्ट पर रखा है
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस ने 3 मार्च से अपने न्यूक्लियर हथियारों को हाई अलर्ट पर रखा है। मॉस्को ने 22 मार्च को नाटो को धमकी देते हुए कहा था कि अगर नाटो ने सीमा लांघी तो क्रेमलिन न्यूक्लियर हमले से नहीं चूकेगा। क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा था कि अगर रूस के सामने ‘अस्तित्व का खतरा’ खड़ा होता है तो वह न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल करेगा। द टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि ये न्यूक्लियर पनडुब्बियां जल्द ही रूस की ओर लौट आए हैं और उसके बाद से गतिविधियां सामान्य हैं। लेकिन रूस के इस कदम के बाद से पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियां क्रेमलिन के न्यूक्लियर हथियारों के जखीरे पर कड़ी नजर रख रही हैं।
अब हम पीछे नहीं हटने वाले
रूस के जनरल स्टाफ के पहले उप प्रमुख कर्नल जनरल सर्गेई रुडस्कॉय ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि सामान्य तौर पर ऑपरेशन के पहले चरण के सभी मुख्य कार्य पूरे हो चुके हैं। ऐसे में अब हम मुख्य लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिशों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। और यह मुख्य लक्ष्य डोनबास का लिबरेशन है। उन्होंने कहा है कि जब तक रूसी सेना डोनबास और लुहंस्क को लिबरेट नहीं करती, अब हम पीछे नहीं हटने वाले।