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12 साल की पूनम की दिलेरी, अकेले 36 से लिया था पंगा 

12 साल की पूनम की दिलेरी, अकेले 36 से लिया था पंगा 

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12 year old Poonam’s bravery, she got into trouble with 36 people alone, Ranchi old story, Ranchi news, Jharkhand news: पूनम की दिलेरी की कहानी रांची के नामकुम प्रखंड के इस गांव में आज भी सम्मान के साथ सुनी और सुनाई जाती है। तब पूनम की दादी पर डायन का आरोप मढ़ पूरे परिवार को प्रताडि़त किया जाता था। गांव में किसी का बैल मर जाए, कोई बीमार पड़ जाए या फिर कोई अन्य विपत्ति आ जाए, ग्रामीणों का हुजूम घर पर आ धमकता। बाजार आना-जाना भी दुश्वार। लोग ताने देते, मारने को दौड़ाते। रांची के भुसूर स्थित पूनम के घर पर बम भी फेंका गया, संयोग से वह फटा नहीं। पूनम की आंखें आज भी नम हो उठती है। 

ग्रामीणों का गुस्सा किसी अनहोनी का संकेत दे रहा था

पूनम कहती हैं, बात 1978 की है। मैं 12 वर्ष की थी, दो दर्जन से अधिक ग्रामीण पारंपरिक हथियारों के साथ दरवाजे पर इकट्ठे हो गए। ग्रामीणों का गुस्सा किसी अनहोनी का संकेत दे रहा था। मैं बाहर निकली, कुंडी चढ़ाई, चिल्लाई और रोने लगी। ग्रामीणों को तब शायद दया आ गई थी, सभी लौट गये। घटना के दूसरे दिन पंचायत बैठी, समझौता भी हुआ, परंतु प्रताडऩा का दौर जारी रहा। पूनम के शब्दों में उस दिन की घटना उसके जीवन के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। उन्होंने अंधविश्वास के खिलाफ जीवनपर्यन्त लडऩे की कसम खा ली। पूनम कहती हैं, 1984 में पिता और 1990 में दादी चल बसीं। पिता की मृत्यु के बाद मां को मेहनत-मजदूरी करनी पड़ी। दो बड़ी बहनों की शादी की चिंता और भाई बेरोजगार। पिता की मौत के बाद हमें भी मां के काम में हाथ बंटाना पड़ा, परंतु अंधविश्वास के खिलाफ लडऩे की कसम मुझे याद थी। तमाम विपरीत परिस्थितियों में मैं रांची आई। एक छोटे थियेटर ग्रुप के साथ जुड़कर काम करने लगी। 

अंधविश्वास के खिलाफ ग्रामीणों को जागरूक कर रहीं

छुट्टियों में गांव-गांव जाकर अंधविश्वास के खिलाफ जागरूकता पैदा करती। मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करते-करते हमने गांवों में लगभग 150 नाटकों का मंचन किया। फिर गांव जाकर स्वयं सहायता समूह व महिला संगठनों के निर्माण में जुट गई। पढ़ाई भी साथ-साथ चलती रही। किसी तरह ग्रेजुएट किया। उन्होंने गांव में कई लोगों को शराब पीकर मरते देखा था। इसलिए अनगड़ा व नामकुम के 20 गांवों की महिलाओं को साथ लेकर वहां शराब बंदी कराई। समाज से बहिष्कृत 20 लड़कियों की शादी कराई। 200 एकल महिलाओं का दुख-दर्द बांटा। 

25 गांवों में निगरानी समिति गठित की

मानव व्यापार पर अंकुश लगाने के लिए 25 गांवों में निगरानी समिति गठित की। अब वे गर्व से कहती हैं कि डायन कहकर प्रताडि़त की जा रही 2000 महिलाओं को सम्मान दिलाने के लिए संघर्ष जारी है। यह वही पूनम है, जिसे भुवनेश्वर की ‘टास्क फोर्स संस्था ने ‘उड़ान के खिताब से नवाजा तो अभिनेता सुनील दत्त ने ‘वी कैनअवार्ड से। अंतर्राष्ट्रीय संस्था ‘वी कैन इंड आल वायलेंस अगेंस्ट वीमेन ने वर्ष 2006 के वार्षिक कैलेंडर में पूनम को एशिया की संघर्षशील महिलाओं में प्रथम स्थान दिया था।

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