मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा – राज्यपाल को कानून बनाने का अधिकार संविधान नहीं देता
1932 Khatian based local policy bill passed without amendment from Jharkhand Assembly, Jharkhand top news, Jharkhand latest Hindi news, Ranchi top news, Ranchi latest Hindi news, Ranchi Top news : झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन बुधवार को 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक बिना किसी संशोधन के बहुमत के साथ पारित हो गया। भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही के दौरान मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने बिना संशोधन के बिल पारित करने का प्रस्ताव रखा। विधेयक पास होते ही सत्ता पक्ष ने जय झारखंड के नारे लगाये। इसके अलावा प्रज्ञान इंटरनेशनल विश्वविद्यालय (निरसन) विधेयक-2023 भी सदन से पास हो गया। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने 11 नवम्बर, 2022 को विधानसभा के विशेष सत्र में पारित ‘झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक 2022 को सदन में रखा। यह 1932 खतियान आधारित स्थानीय नियोजन नीति है। 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति बिल पास होने के बाद सदन में प्रज्ञान इंटरनेशनल विश्वविद्यालय (निरसन) विधेयक-2023 सदन में पेश किया गया।
विपक्षी दलों ने इस विधेयक को पिछली बार समर्थन दिया था, लेकिन बाद में राज्यपाल का कान भरा
झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2023 सदन में पेश किया गया। इस विधेयक को भी राज्यपाल ने वापस किया था, जिसे सरकार बिना संशोधन के सदन में पेश कर रही है। इस विधेयक में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्षी दलों ने इस विधेयक को पिछली बार समर्थन दिया था, लेकिन बाद में उनलोगों ने राज्यपाल का कान भरने का काम किया। इनके लोग कोर्ट भी गये। उन्होंने कहा कि राज्यपाल और अटॉर्नी जनरल ने जो तर्क दिये हैं, उससे इस नीति का कोई लेना-देना नहीं है। जिस पुराने केस का उल्लेख किया गया है, उससे भी इस नीति और विधयेक का कोई लेना-देना नहीं है। एडवोकेट जनरल से राय लेकर इस विधेयक को बनाया गया है। इसलिए इसमें संशोधन की जरूरत नहीं है।
पहले नौकरी मुआवजा मिलते थे, अब ऐसा नहीं होता है
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी पार्टी के प्रमुख ने राज्य की लड़ाई लड़ी थी, सब जानते हैं। राज्य खनिज सम्पदा से भरा राज्य है। यहां खनन की अहम भूमिका रही है। पहले नौकरी मुआवजा मिलते थे, अब ऐसा नहीं होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां डबल इंजन की सरकार तो है नहीं, संविधान में नियम बनाने की शक्ति विधानमंडल को है, इसलिए हमने यह बिल लाया था। राज्यपाल को कानून बनाने का अधिकार संविधान नहीं देता। उन्होंने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य स्थानीय को परिभाषित करने का है। हमने आरक्षण बढ़ाने के सम्बन्ध में भी बिल पास करवाकर राजभवन भेजा है। आज फिर मांग करता हूं कि आरक्षण बिल को लेकर भी राज्यपाल जल्द निर्णय लें। हमने स्थानीय नीतिवाले विधेयक को 9वीं अनुसूची में शामिल करने का भी आग्रह किया है। इस बिल को लेकर अटॉर्नी जनरल की आपत्ति तर्कसंगत नहीं है। इसलिए इस बिल को बिना संशोधन के पारित किया जाये।